एक राजा था। उसने एक सर्वे करने का सोचा कि मेरे राज्य के लोगों की घर गृहस्थी पति से चलती है या पत्नी से। उसने एक इनाम रखा कि जिसके घर में पति का हुक्म चलता हो, उसे मनपसंद घोडा़ इनाम में मिलेगा और जिसके घर में पत्नी की चलती है वह एक सेब ले जाए।
एक के बाद एक सभी नगरवासी सेब उठाकर जाने लगे। राजा को चिंता होने लगी, क्या मेरे राज्य में सभी घरों में पत्नी का हुक्म चलता है। इतने में एक लम्बी लम्बी मूंछों वाला, मोटा तगडा़ और लाल-लाल आखों वाला जवान आया और बोला- राजा जी मेरे घर में मेरा ही हुक्म चलता है, घोडा़ मुझे दीजिए।” राजा खुश हो गए और कहा जा अपना मनपसंद घोडा़ ले जाओ। चलो कोई एक घर तो मिला जहाँ पर आदमी की चलती है।
जवान काला घोडा़ लेकर रवाना हो गया। घर गया और फिर थोडी़ देर में घोड़ा लेकर दरबार में वापस लौट आया।
राजा: “क्या हुआ जवाँ मर्द? वापस क्यों आ गये?”
जवान : महाराज, मेरी घरवाली कह रही है काला रंग अशुभ होता है, सफेद रंग शांति का प्रतिक होता है आप सफेद रंग वाला घोडा लेकर आओ.। इसलिए आप मुझे सफेद रंग का घोड़ा दीजिए।
राजा: अच्छा… “घोडा़ रख ..और सेब लेकर चलता बन।
इसी तरह रात हो गई … दरबार खाली हो गया। लोग सेब लेकर चले गए ।
आधी रात को महामंत्री ने दरवाजा खटखटाया,,,
राजा : “बोलो महामंत्री कैसे आना हुआ?”
महामंत्री : महाराज आपने सेब और घोडा़ इनाम में रखा है। इसकी जगह अगर एक मन अनाज या सोना वगैरहा रखा होता तो लोग कुछ दिन खा सकते या जेवर बना सकते थे।
राजा : “मैं भी इनाम में यही रखना चाह रहा था लेकिन महारानी ने कहा कि सेब और घोडा़ ही ठीक है इसलिए वही रखा।
महामंत्री : ” महाराज आपके लिए सेब काट दूँ?
राजा को हँसी आ गई और कहा- यह सवाल तुम दरबार में या कल सुबह भी पूछ सकते थे आप आधी रात को ही क्यों आये.?
महामंत्री: “महाराज, मेरी धर्मपत्नी ने कहा अभी जाओ और अभी पूछ के आओ ताकि सच्ची घटना का पता तो चले।
राजा ( बात काटकर ): “महामंत्री जी, सेब आप खुद ले लोगे या घर भेज दिया जाए ।”
धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, समाज चाहे जितना भी पुरुष प्रधान हो लेकिन संसार स्त्री प्रधान ही है। इसी लिए उसे घर की लक्ष्मी कहते हैं। जिस घर में स्त्री का आदर होता है उसी घर में सुख—शांति और समृद्धि का निवास होता है और जहां स्त्री का आदर नहीं उस घर में क्लेश, द्वेष और टोटे का झगड़ा निरंतर चलता रहता है। अब तय आपको करना है कि आपको कैसा जीवन और कैसा घर चाहिए।