हिसार

बच्चों को जिंदगीभर की तकलीफ से मुक्ति दिलाने के लिए आगे आयें लोग: डा. माधुरी महता

हिसार,
बचपन से सुनने की शक्ति खो देने वाले बच्चे को जब पहली बार कोई आवाज सुनाई देती है और कुछ सालों बाद जब बच्चा अपने मुंह से कोई शब्द बोलता है तो उसके मां-बाप उस खुशी को शब्दों में बयां नहीं कर पाते। किसी की आंखें उस खुशी को बयां करती हैं तो किसी के होटों की हंसी। ये एक ऐसा पल होता है जिसके लिए जन्मजात मूक व बधिर बच्चों के मां-बाप तरसते रहते हैं। ऐसे ही 37 बच्चे जो जन्म से बोल सुन नहीं पाते थे, उनकी सफलतापूर्वक कोक्लियर इम्पलांट सर्जरी करके जिन्दल अस्पताल ने उन्हें सुनने व बोलने लायक बनाया और उनके मां-बाप को अकल्पनीय खुशी प्रदान की है। अब ऐसे 50 से अधिक बच्चों के माता-पिता इस खुशी की तलाश में हैं और यदि समय रहते उन्हें महंगे इलाज के लिए आर्थिक मदद नहीं मिली तो वो पूरी उम्र इस खुशी को तरसते रहेंगे।
यह बात जिंदल अस्पताल की ईएनटी विभाग की डायरेक्टर व मेडिकल सुपरिटेंडेंट ईएनटी स्पेशलिस्ट डा. माधुरी मेहता ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही। विश्व श्रवण दिवस के मौके पर आयोजित सेमिनार के बाद डा. महता ने बताया कि बच्चों में 6 माह से 5 वर्ष तक ही ये सर्जरी की जा सकती है। उसके बाद सर्जरी नहीं की जा सकती और बच्चों की सुनने व बोलने की शक्ति नहीं लौटती, जिससे उनको पूरी उम्र इस कमी के साथ जीना पड़ता है। ये सर्जरी काफी महंगी होती है। एक सर्जरी पर लगभग 7 लाख रुपये का खर्च आता है। वो भी हिसार में इतने खर्च में ये सर्जरी हो जाती है। बड़े शहरों में तो ये खर्च 15 से 20 लाख रुपये तक होता है। उन्होंने बताया कि सर्जरी के लिए रुपये न चुका सकने वाले आर्थिक रूप से कमजोर व जरूरतमंद बच्चों को हिसार की प्रमुख समाजसेवी पूर्व मंत्री श्रीमती सावित्री जिंदल अपनी तरफ से मदद देती रहती हैं लेकिन वो नाकाफी होती है। फिलहाल आर्थिक रूप से कमजोर 50 बच्चों को सर्जरी की जरूरत है और इसीलिए वह शहर की जनता से आह्वान करती हैं कि वो आगे आयें और इस मुहिम के साथ जुडक़र बच्चों को जिंदगी भर की तकलीफ से मुक्ति दिलायें।
विश्व श्रवण दिवस पर आयोजित इस सेमिनार के पहले मूक बधिर बच्चों की निशुल्क सुनवाई जांच (पीटीए, बीईआरए) करवाई गयी। इसी के साथ अस्पताल के सभागार में एक सेमीनार का आयोजन किया गया जिसमे ऐसे सभी बच्चों ने कलरिंग पेज पर रंग भरकर खूब आनंद उठाया। किसी ने कविता तो किसी ने कहानी सुनाई और नृत्य कर सबका मन जीत लिया।
अस्पताल सभागार में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. माधुरी मेहता जन्मजात बधिरता के कारण और उपचार के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गर्भावस्था में इंफेक्शन, जन्म के समय कम वजन, जन्म के समय ऑक्सिजन की कमी, गर्भावस्था में मधुमेह या उच्च रक्तचाप व पीलिया या आरएच फैक्टर से संबंधित बीमारी के कारण बच्चे जन्म जात मूक व बधिर हो जाते हैं। इसीलिए जरूरत लगने पर जन्म के एक माह के अंदर ही बच्चे की सुनने की शक्ति की जांच करवा लेनी चाहिए। उन्होंने बताया कि देश में 6 करोड़ 30 लाख के करीब लोगों को सुनने की तकलीफ है। हर वर्ष 1 हजार में से 4 बच्चे सुनने की तकलीफ के साथ पैदा होते हैं, जिनकी संख्या 1 लाख के करीब है। मगर इनमें से केवल 25 हजार का ही इलाज हो पाता है। महंगी सर्जरी होने के कारण हजारों बच्चे ये इलाज नहीं करवा पाते। वो हरियाणा सरकार से मांग करती हैं कि गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडू व केरला राज्यों की तरह यहां भी जरूरतमंदों को निशुल्क कोक्लियर इंम्पलांट सर्जरी की सुविधा दी जाये।
सेमिनार में ठीक हो चुके बच्चों के परिजनों ने इस तकलीफ से जूझ रहे बच्चों के माता-पिता के साथ अपने अनुभव भी साझा किये। इस अवसर पर जिन्दल अस्पताल के डाइरेक्टर डा शेखर सिन्हा, स्पीच थेरेपिस्ट भारती बेरी मोंगा, ऑडियोलॉजिस्ट आदर्श, प्रशासक डा. शिव कुमार सिंगल, अनूप दयाल, कुमकुम रॉय सहित अन्य डॉक्टर व स्टाफ मौजूद रहा।

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