धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—473

मोहन और श्याम दो मित्र थे। दोनों बिना सोचे-विचारे किसी भी व्यक्ति अथवा परिस्थिति के विषय में अनुमान लगा लिया करते थे। उनके अनुमान अधिकतर गलत निकलते और वे उपहास के पात्र बन जाते थे। किंतु फिर भी दोनों सुधरने का नाम नहीं लेते थे। दोनों के परिजन उनकी इस आदत से परेशान थे। एक दिन दोनों के अभिभावकों ने उन्हें सुधारने के लिए एक नाटक रचा।

उन्होंने एक व्यक्ति को जानबूझकर दोनों के सामने भेजा। वह व्यक्ति लंगड़ा कर चल रहा था। उसे देखकर झट से मोहन बोला- “मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि यह पैदायशी लंगड़ा है।
श्याम उसकी बात काटते हुए बोला- “नहीं, मेरा मानना है कि यह दुर्घटना में लंगड़ा हुआ है।दोनों के बीच बहस होने लगी।

तभी वहां मोहन और श्याम के पिता आए और अपने-अपने पुत्र को सही बताकर परस्पर लड़ने लगे। अपने-अपने पिता को बुरी तरह लड़ते देख वह हैरान हो गए। बात बड़ती देख दोनों घबरा गए। दोनों ने तय किया कि जिसका अनुमान गलत निकलेगा, वह बिना विचारे आजीवन अनुमान नहीं लगाएगा। फिर दोनों ने उस आदमी से लंगड़ाने का कारण पूछा तो वह बोला- “मैं तो लंगड़ाकर इसलिए चल रहा हूं क्योंकि मेरी एक चप्पल टूट गई है। यह सुनकर दोनों को अपनी मूर्खता का एहसास हुआ और उन्होंने कभी अविचारित अनुमान न लगाने की कसम खा ली।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, ठोस प्रमाण और परिस्थिति जन्य साक्ष्य के आधार पर ही अनुमान लगाना उचित होता है, अन्यथा उपहास का पात्र बनते देर नहीं लगती।

Shine wih us aloevera gel

https://shinewithus.in/index.php/product/anti-acne-cream/

Related posts

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों में से—7

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—57

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 385

Jeewan Aadhar Editor Desk