धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—496

एक बार एक व्यक्ति, एक हाथी को रस्सी से बांध कर ले जा रहा था। एक दूसरा व्यक्ति इसे देख रहा था। उसे बढ़ा आश्चर्य हुआ की इतना बड़ा जानवर इस हल्की से रस्सी से बंधा जा रहा है। दूसरे व्यक्ति ने हाथी के मालिक से पूछा— ‘यह कैसे संभव है की इतना बड़ा जानवर एक हल्की सी रस्सी को नहीं तोड़ पा रहा और तुम्हारे पीछ- पीछे चल रहा है।’

हाथी के मालिक ने बताया जब ये हाथी छोटे होते हैं तो इन्हें रस्सी से बांध दिया जाता है उस समय यह कोशिश करते है रस्सी तोड़ने की पर उसे तोड़ नहीं पाते। बार- बार कोशिश करने पर भी यह उस रस्सी को नहीं तोड़ पाते तो हाथी सोच लेते है कि वह इस रस्सी को नही तोड़ सकते और बड़े होने पर कोशिश करना ही छोड़ देते है।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, इंसान भी ऐसी बहुत सी नकारात्मक बातें अपने दिमाग में बैठा लेते हैं कि हम नहीं कर सकते और एक ऐसी ही रस्सी से अपने को बांध लेते हैं जो सच में होती ही नहीं है। इसलिए कामयाबी उनसे दूर रहती है।

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Jeewan Aadhar Editor Desk