धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—504

एक वृद्ध माँ रात को 11:30 बजे रसोई में बर्तन साफ कर रही है, घर में दो बहुएँ हैं, जो बर्तनों की आवाज से परेशान होकर अपने पतियों को सास को उल्हाना देने को कहती हैं, वो कहती है—आपकी माँ को मना करो, इतनी रात को बर्तन धोने से हमारी नींद खराब होती है।

साथ ही सुबह 4 बजे उठकर फिर खट्टर पट्टर शुरू कर देती है। सुबह 5 बजे पूजा आरती करके हमें सोने नही देती। ना रात को ना ही सुबह चैन। जाओ, सोच क्या रहे हो— जाकर माँ को मना करो। बड़ा बेटा खड़ा होता है और रसोई की तरफ जाता है। रास्ते मे छोटे भाई के कमरे में से भी वो ही बातें सुनाई पड़ती, जो उसके कमरे हो रही थी।

वो छोटे भाई के कमरे को खटखटा देता है छोटा भाई बाहर आता है। दोनों भाई रसोई में जाते हैं, और माँ को बर्तन साफ करने में मदद करने लगते है, माँ मना करती पर वो नही मानते। बर्तन साफ हो जाने के बाद दोनों भाई माँ को बड़े प्यार से उसके कमरे में ले जाते है, तो देखते हैं पिताजी भी जागे हुए हैं।

दोनो भाई माँ को बिस्तर पर बैठा कर कहते हैं, माँ सुबह जल्दी उठा देना, हमें भी पूजा करनी है, और सुबह पिताजी के साथ योगा भी करेंगे। माँ बोली ठीक है बच्चों, दोनो बेटे सुबह जल्दी उठने लगे, रात को 9:30 पर ही बर्तन मांजने लगे, तो पत्नियां बोली, माता जी करती तो हैं—आप क्यों कर रहे हो बर्तन साफ, तो बेटे बोले हम लोगों की शादी करने के पीछे एक कारण यह भी था कि माँ की सहायता हो जायेगी पर तुम लोग ये कार्य नही कर रही हो। कोई बात नही हम अपनी माँ की सहायता कर देते हैं।

हमारी तो माँ है इसमें क्या बुराई है, अगले तीन दिनों में घर में पूरा बदलाव आ गया। बहुएँ जल्दी बर्तन इसलिये साफ करने लगी, नही तो उनके पति बर्तन साफ करने लगेंगे। साथ ही सुबह भी वो भी पतियों के साथ ही उठने लगी और पूजा आरती में शामिल होने लगी। कुछ दिनों में पूरे घर के वातावरण में पूरा बदलाव आ गया। बहुएँ सास ससुर को पूरा सम्मान देने लगी।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, माँ का सम्मान तब कम नही होता, जब बहुएं उनका सम्मान नही करती। माँ का सम्मान तब कम होता है जब बेटे माँ का सम्मान नही करे या माँ के कार्य मे सहयोग ना करें। बेटे सुधरेंगे तो बहुएं अपने—आप सास—ससुर का सम्मान करेगी।

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