धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—509

एक बार एक औरत का मन‌ श्रीकृष्ण की भक्ति के प्रति उचाट हो गया था। वह श्री कृष्ण की परम भक्त थी। दिन-रात उनके नाम का सिमरन करती थी।

लेकिन एक दिन उसका 8-10 साल का बेटा घर की छत से आंगन में गिर पड़ा। अपने रक्त से लथपथ बेटे को देख कर को गोद में उठा कर वह बद्दहवास ही दौड़ पड़ी। उस समय उसके सिवाय घर पर और कोई भी नहीं था। पुत्र की ऐसी हालत देखकर वह ईश्वर को उलाहना देती रही। दिन रात तुम्हारा नाम जपती हूं फिर कान्हा मेरे पुत्र को ऐसा कष्ट क्यों दिया?

इसी उधेड़बुन में डाक्टर साहब का क्लीनिक आ गया। डाक्टर साहब ने उस का ईलाज किया और कहने लगे कि आप के पुत्र को कोई गहरा घाव नहीं हुआ। यह घाव भी कुछ दिन में ठीक हो जाएगा और उसे दवाई दे दी। ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌ लेकिन एक मां का हृदय बार- बार उस दृश्य को स्मरण कर सिहर जाता।

इसलिए एक मां का मन ईश्वर की शक्ति को चुनौती दे रहा था कि मेरे बेटे के साथ उन्होंने ने ऐसा क्यों किया जबकि मैं तो दिन रात श्री कृष्ण के नाम का सिमरन करती हूंँ। उसे समझ नहीं आ रहा था कि अब वह उसकी सत्ता पर कैसे विश्वास करे?

श्री कृष्ण की लीला देखिए उसी दिन टीवी पर किसी महात्मा के प्रवचन आ रहे थे कि , “ईश्वर किसी पर आने वाले कष्ट को रोक नहीं सकते, लेकिन उसके नाम सिमरन से ईश्वर तुम को इतनी शक्ति प्रदान करते हैं कि तुम आसानी से उस संकट से उबर जाओगे, ईश्वर तुम्हारे मार्ग को सरल कर देते हैं। इसलिए नाम सिमरन करते रहना चाहिए”।

यह प्रवचन सुनने ही जैसे उस दिन का सारा घटनाक्रम उसकी आंखों के सामने घूम गया। उस दिन यहां आंगन में उसका बेटा गिरा था वहां पाईप एक दिन पहले ही हटाई गई थी यह सोच कर उसका मन सिहर गया कि अगर पाइप यही पर पड़ी होती तो बेटे को ज्यादा चोट लग सकती थी।

इसी उधेड़बुन में उसका हाथ पेट पर गया तो उसे स्मरण हो आया कि अभी कुछ दिन पहले तो मेरे पेट का आपरेशन हुआ था मैं तो एक बाल्टी नहीं उठा सकती थी लेकिन 20-22 किलो के बेटे को गोद में उठा कर आधा- पौने किलोमीटर दौड़ कर डाक्टर के क्लीनिक तक कैसे गई? इतनी शक्ति और हिम्मत मुझ में ईश्वर के सिवाय कोई नहीं दे सकता।

अब उसे स्मरण हो आया कि डाक्टर साहब तो 3 बजे तक क्लीनिक में होते हैं लेकिन उस दिन 4 बजे तक क्लीनिक में थे, जिस कारण उसके बेटे का समय पर इलाज शुरू हुआ। क्या पता किसी ईश्वरीय शक्ति ने ही उन्हें रोक कर रखा हो?

इस सारे घटनाक्रम को याद कर उनके मन के सारे संशय दूर हो गए और जल्दी से घर के मंदिर में जाकर श्री कृष्ण को प्रणाम किया और कहने लगी कि कान्हा मेरे पुत्र की रक्षा करने के लिए तेरा शुक्रिया और फिर से श्री कृष्ण के नाम का जाप करने लगी। उसे लगा श्री कृष्ण का विग्रह मानो मंद—मंद मुस्कुरा रहा हो।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, श्री कृष्ण तथा कृष्ण नाम अभिन्न हैं। कलियुग में श्री कृष्ण स्वयं हरिनाम के रूप में अवतार लेते है। केवल हरिनाम से ही सम्पूर्ण संसार का उद्धार संभव है। ऐसा माना जाता है कि जब कभी भी मनुष्य पर आकस्मिक विपत्ति आ जाती है तो पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ श्री कृष्ण के निजनाम मंत्र के जाप से संकट से मुक्ति मिल सकती है।

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