कहते हैं — जब जीवन में अंधकार बढ़ जाता है, तब प्रभु का प्रकाश अवश्य उतरता है। यही बात भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से हमें सबसे बड़ी सीख देती है — “सही योजना, धैर्य और समय के अनुसार कार्य करने वाला व्यक्ति कभी हारता नहीं।”
मथुरा में अत्याचारी राजा कंस का आतंक फैला हुआ था। उसकी बहन देवकी और भाई वसुदेव को उसने जेल में डाल दिया था, क्योंकि भविष्यवाणी हुई थी कि देवकी की आठवीं संतान ही कंस का अंत करेगी।
कंस ने निर्णय लिया कि वह देवकी की हर संतान को जन्म लेते ही मार देगा। एक-एक करके सात बच्चे मारे गए। लेकिन वसुदेव और देवकी ने आशा नहीं छोड़ी। वे जानते थे कि हर अंधेरी रात के बाद प्रभात अवश्य होता है।
और फिर, आधी रात के समय, वर्षा की गर्जना और बिजली की चमक के बीच आठवीं संतान — श्रीकृष्ण — का जन्म हुआ। पूरा वातावरण दैवीय हो उठा।
लेकिन प्रश्न यह था — अब आगे क्या? कैसे उस शिशु को बचाया जाए जब चारों ओर बंद दरवाजे, लोहे की जंजीरें और पहरेदार हों?
यहीं से प्रारंभ होती है इस कहानी की सबसे महत्वपूर्ण सीख — सही योजना और धैर्य।
वसुदेव ने देखा कि जैसे किसी अदृश्य शक्ति ने सारे ताले खोल दिए, पहरेदार गहरी नींद में सो गए और जेल का द्वार अपने आप खुल गया। अब अवसर उनके सामने था।
उन्होंने तुरंत निर्णय लिया। बिना एक पल गँवाए, उन्होंने शिशु कृष्ण को टोकरी में रखा, सिर पर उठाया और अंधेरी रात में निकल पड़े।
रास्ते में भारी वर्षा हो रही थी, यमुना नदी उफान पर थी। परंतु वसुदेव का विश्वास अडिग था। उन्होंने निडर होकर कदम बढ़ाया। यमुना ने भी जैसे उनके संकल्प को पहचाना, और मार्ग देने लगी। वे सुरक्षित गोकुल पहुँचे, जहाँ यशोदा और नंद बाबा का घर था। उन्होंने श्रीकृष्ण को वहाँ सुलाया और यशोदा के नवजात को लेकर लौट आए।
सुबह जब कंस ने देखा कि देवकी के हाथ में बच्चा मृत है, तो उसे लगा कि आठवीं संतान मर चुकी है — और इसी योजना ने श्रीकृष्ण के जीवन को बचा लिया।
यह कोई चमत्कार मात्र नहीं था, यह धैर्य, विश्वास और योजनाबद्ध सोच का परिणाम था।
धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, संकट में भी धैर्य न खोएं: जब जीवन की हर राह बंद लगे, तब शांत मन से सोचने वाला ही समाधान देख पाता है। हर कार्य के लिए सही योजना जरूरी है: वसुदेव ने बिना समय गंवाए, हर कदम सोच-समझकर रखा — इसलिए वे सफल हुए। विश्वास सबसे बड़ी शक्ति है: जब मन में भगवान और अपने कर्म पर विश्वास हो, तो यमुना भी रास्ता दे देती है।
“जो व्यक्ति संकट के समय में डरता नहीं, बल्कि सोच-समझकर कदम उठाता है — वही जीवन में बड़े-बड़े काम पूरे करता है।” “योजना और संयम वही चमत्कार करते हैं, जो भाग्य भी नहीं कर पाता।”
श्रीकृष्ण का जन्म केवल एक दैवी घटना नहीं थी — वह हमें सिखाता है कि हर असंभव स्थिति में भी सही दिशा, सही सोच और समय पर लिया गया निर्णय हमें विजय दिला सकता है।









