एक बार देवताओं के सामने प्रश्न आया कि सबसे पहले किसकी पूजा की जाएगी? तब भगवान शिव ने कहा जो सबसे पहले संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा लगा लेगा, वही इस सम्मान को प्राप्त करेगा। भगवान शिव का आदेश मिलते ही सभी देवता अपने अपने वाहनों पर सवार होकर पृथ्वी का चक्कर लगाने के लिए निकल पड़े।
जब गणेश जी की बारी आई तो उन्होंने अपनी बुद्धि से अपने पिता भगवान शिव और माता पार्वती की तीन परिक्रमा पूरी की और हाथ जोड़ कर खड़े हो गए। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर गणेश जी से कहा कि तुमसे बड़ा बुद्धिमान इस संसार में और कोई नहीं है। गणेश जी ने माता और पिता की तीन परिक्रमा की, जिसे तीनों लोकों की परिक्रमा के बराबर माना गया। कठिन से कठिन कार्य भी माता-पिता की सेवा से पूर्ण हो जाते हैं।
धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, माता-पिता से बढ़कर संसार में कोई तीर्थ, देवता और गुरु नहीं है और ये बात सबसे पहले गणपति जी ने पूरे ब्रह्मांड को बताई थी। पुराणों में भी कहा गया है कि जीवन में सुख और सफलता माता पिता के आशीर्वाद के बिना मिलना मुश्किल है।
माता-पिता के खुश होने पर ही समस्त देवता प्रसन्न होकर मनोकामनाएं पूर्ण करते है। माता-पिता की सेवा और प्रसन्नता के बिना कोई भी प्राणी पूर्ण रूप से खुशहाल नहीं हो सकता।