धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—566

महाभारत में कुंती पुत्र कर्ण पराक्रमी योद्धा था, लेकिन उसने युद्ध कला झूठ बोल कर प्राप्त की थी। कर्ण कुंती का पुत्र था, लेकिन कुंती ने जन्म के तुरंत बाद ही उसका त्याग कर दिया था। इसके बाद कर्ण का पालन-पोषण सूत अधिरथ और उसकी पत्नी राधा ने किया था। इसी वजह से कर्ण को ‘सूत-पुत्र और ‘राधेय’ भी कहा जाता है। कर्ण भगवान परशुराम से अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान हासिल करना चाहता था, लेकिन कर्ण ये जानता था कि वह सूत पुत्र है और इस कारण परशुराम उसे युद्ध कला नहीं सिखाएंगे।

कर्ण किसी भी तरह परशुराम से अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा लेना चाहता, उसने परशुराम से भेंट की और ये बात छिपा ली कि वह सूत पुत्र है। उसने खुद को ब्राह्मण बताया। कर्ण की सीखने की इच्छा को देखते हुए, परशुराम ने उसे अपना शिष्य बना लिया। कई दिव्यास्त्रों का ज्ञान भी कर्ण को दिया। इस प्रकार झूठ बोलकर परशुराम से अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान कर्ण ने हासिल कर लिया।

कर्ण परशुराम से शिक्षा प्राप्त कर रहे थे, उस दौरान एक दिन गुरु और शिष्य, दोनों जंगल से गुजर रहे थे। रास्ते में परशुराम को थकान महसूस हुई। उन्होंने कर्ण से कहा कि वे आराम करना चाहते हैं। कर्ण एक घने पेड़ के नीचे बैठ गया और परशुराम उसकी गोद में सिर रखकर सो गए। तभी कहीं से एक बड़ा कीड़ा आया और उसने कर्ण की जांघ पर डंक मारना शुरू कर दिया। कर्ण को दर्द हुआ, लेकिन गुरु भक्ति के कारण वह वैसा ही बैठा रहा।

कीड़ा बार-बार डंक मार रहा था, जिससे कर्ण की जांघ से खून बहने लगा। खून की धारा परशुराम को लगी तो वे नींद से जाग गए। उन्होंने कीड़े को हटाया, फिर कर्ण से पूछा कि तुमने उस कीड़े को हटाया क्यों नहीं। कर्ण ने कहा कि मैं थोड़ा भी हिलता तो आपकी नींद खुल जाती, इससे मेरा सेवा धर्म टूट जाता।

परशुराम ने उसी समय समझ लिया कि इतनी सहनशक्ति किसी ब्राह्मण में नहीं हो सकती। उन्होंने कर्ण से कहा कि तुमने मुझसे झूठ बोला। कर्ण ने अपनी गलती मान ली कि उसने झूठ बोलकर शिक्षा प्राप्त की है। कर्ण के झूठ से क्रोधित होकर परशुराम ने उसे शाप दिया कि जिस समय तुम्हें इन दिव्यास्त्रों की सबसे ज्यादा जरूरत होगी, उसी समय इनके प्रयोग की विधि तुम भूल जाएगा।

जब महाभारत युद्ध में कर्ण और अर्जुन के बीच निर्णायक युद्ध चल रहा था, तब कर्ण कोई दिव्यास्त्र नहीं चला सका, क्योंकि वह सभी की विधि भूल चुका था।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, झूठ बोल कर हासिल की गई शिक्षा लंबे समय तक लाभ नहीं देती है। लंबे समय तक कामयाबी हासिल करना चाहते हैं तो ईमानदारी और सच्चाई का साथ कभी न छोड़ें।

Shine wih us aloevera gel

https://shinewithus.in/index.php/product/anti-acne-cream/

Related posts

ओशो : संत बनना कठिन

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—107

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—530

Jeewan Aadhar Editor Desk