धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 581

एक बार दोपहर के समय महात्मा बुद्ध अपने कुछ शिष्यों के साथ किसी गांव की ओर जा रहे थे। बुद्ध का उद्देश्य था, वहां के लोगों को जीवन के सत्य का ज्ञान देना, उन्हें आत्मिक शांति और संतुलन की बातें समझाना।

बुद्ध और उनके शिष्यों को रास्ते में एक मैदान दिखाई दिया। मैदान में कई गड्ढे खुदे हुए थे। छोटे-बड़े, अधूरे, कहीं-कहीं बहुत गहरे, तो कहीं पर अभी शुरुआत भर ही हुई थी। ये दृश्य विचित्र था और किसी रहस्य से कम नहीं लग रहा था।

शिष्यों में से एक, जो बहुत उत्सुक था, उसने पूछा कि – तथागत, ये गड्ढे किसने और क्यों खोदे होंगे? इतने सारे गड्ढे और कोई भी पूरा नहीं है, इसका रहस्य क्या हो सकता है?

बुद्ध मुस्कुराए। उन्होंने आसमान की ओर देखा, मानो वहां से कोई उत्तर उतर कर आ रहा हो। फिर उन्होंने शांत स्वर में उत्तर दिया कि ये किसी ऐसे व्यक्ति का कार्य है जो पानी की तलाश में था। उसने एक गड्ढा खोदना शुरू किया, लेकिन जब थोड़ी गहराई तक पहुंचने पर पानी न मिला, तो उसने दूसरी जगह खुदाई शुरू कर दी। वहां भी थोड़ी देर प्रयास किया, फिर निराश होकर तीसरी जगह गड्ढा खोदने लगा। इस तरह उसने कई प्रयास किए, पर कोई भी पूर्ण प्रयास नहीं किया। परिणामस्वरूप, उसे कहीं भी पानी नहीं मिला।

शिष्य ये बात सुनकर थोड़े हैरान हो गए। बुद्ध आगे बोले कि ये प्रसंग सिर्फ जमीन पर खोदे गए गड्ढों का नहीं है। ये जीवन की भी सच्चाई है। कई लोग जीवन में सफलता की तलाश करते हैं, लेकिन थोड़ी देर कोशिश करने के बाद, जब फल नहीं मिलता, तो निराश होकर मार्ग बदल देते हैं। कुछ और काम शुरू करते हैं, फिर निराशा मिलती है, और फिर एक और नया प्रयास शुरू कर देते हैं। इस क्रम में वे कहीं भी गहराई तक नहीं पहुंचते और अंततः जीवन खाली हाथ रह जाता है।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, सफलता पाने के लिए सिर्फ मेहनत काफी नहीं है। उसमें निरंतरता, धैर्य और दृढ़ निश्चय का होना आवश्यक है।

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Jeewan Aadhar Editor Desk