ज्योतिष

पश्चिम बंगाल में किसकी होगी सरकार…जानें क्या कहते है ग्रह—नक्षत्र

पश्चिम बंगाल में चुनावी शंखनाद हो चुका है। काफी रोचक चुनाव इस बार वहां होने जा रहा है। एक तरफ ममता दीदी के पास सत्ता बचाने की चुनौती है, वहीं भाजपा सत्ता में काबिज होने के लिए अपना पूरा जोर लगा रही है। ज्योतिष बी.डी.शर्मा के अनुसार यदि ग्रहों की गणना की जाए तो काफी संकटों को पार करते हुए ममता दीदी एकबार फिर सत्ता में लौटती नजर आ रही है।

पश्चिम बंगाल की प्रभाव राशि मिथुन है और नक्षत्र मृगशिरा है। अभी पिछले वर्ष से शनि और गुरु मकर राशि में गोचर करते हुए बंगाल की प्रभाव राशि मिथुन से अष्टम भाव में आकर यहां की राजनीति में उथल-पुथल मचाए हुए हैं। तृणमूल कांग्रेस के कई कद्दावर नेता ममता का दामन छोड़कर भाजपा शामिल हो चुके हैं और यह सिलसिला निरंतर जारी है। इस विकट शनि-गुरु के गोचर के चलते ममता बनर्जी बंगाल में कमजोर होती नजर आ रही हैं।

क्या कहती है दिलीप घोष की कुंडली
बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद के बड़े दावेदार दिलीप घोष का जन्म 1 अगस्त 1964 को रात्रि 2 बजकर 52 मिनट पर बंगाल के गोपीवल्लभपुर में हुआ था। मिथुन लग्न की इनकी कुंडली में विवाह और साझेदारी स्थान यानी सप्तम भाव में केतु बैठे हैं जिनपर लग्न से राहु, शुक्र और मंगल का प्रभाव होने के चलते यह अविवाहित ही रहे।

इनकी कुंडली के नवम भाव में बैठे वक्री शनि पर तीसरे घर से लग्नेश बुध की दृष्टि ने इनको बेहद काम आयु में सार्वजानिक कार्यों और संघ के प्रचारक की भूमिका में ला दिया। वर्तमान में यह राहु-शुक्र-राहु की कठिन विंशोत्तरी दशा में चल रहे हैं। शुक्र के इनकी कुंडली में मंगल के साथ ग्रह-युद्ध में पीड़ित होने के कारण यह अपनी पार्टी को बड़ी जीत दिलाने में असफल रह सकते हैं, किंतु शुक्र इनकी कुंडली में पंचमेश होकर लग्न में विराजमान हैं तो इस कारण से इनका कद प्रदेश की राजनीति में बढ़ेगा लेकिन मुख्यमंत्री बनने की संभावना बेहद कम है।

कैसा रहेगा वामदलों का प्रदर्शन
वामदलों के प्रमुख घटक मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना कुंडली 31 अक्टूबर 1964 दोपहर 2 बजकर 14 मिनट कोलकाता की है कुंभ लग्न की इनकी कुंडली में पिछले 16 वर्ष से चली आ रही गुरु की महादशा अब मार्च के मध्य में समाप्त होने जा रही है। कम्युनिस्ट पार्टी की कुंभ लग्न की कुंडली में गुरु मारकेश होकर तीसरे घर में शनि, सूर्य और बुध से दृष्ट हैं। इस दशा के प्रभाव से इस पार्टी ने पिछले दो दशकों में लगातार बड़े उतर-चढ़ाव देखे हैं। अब लग्न में विराजमान स्वराशि के शनि की दशा में पार्टी का प्रदर्शन पश्चिम बंगाल में संतोषजनक रहने की संभावना है।

तृणमूल कांग्रेस कर सकती है सत्ता में वापसी
ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की स्थापना कुंडली 1 जनवरी 1998 सुबह 11 बजे कोलकाता की है। मीन लग्न की इस कुंडली में एकादश (लाभ) भाव में गुरु, मंगल, शुक्र और चंद्रमा का बड़ा धन योग बन रहा है। इस पार्टी की स्थापना के बाद ममता बनर्जी का कद केंद्र की राजनीति में तेज़ी से बढ़ा। ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के नेता वाजपेयी और मनमोहन सरकार में मंत्री पदों पर रह चुके हैं। वर्ष 2011 में राहु-गुरु की दशा में तृणमूल कांग्रेस बंगाल की सत्ता में पहली बार आयी। वर्तमान में इस पार्टी की कुंडली में राहु-शुक्र की विंशोत्तरी दशा जुलाई 2019 से चल रही है। राहु कुंडली के छठे भाव में तथा शुक्र लाभ भाव में हैं जो कि एक-दूसरे से षडाष्टक होकर विवादों और मुश्किलों को दर्शाते हैं। राहु-शुक्र-गुरु का समय जनवरी 2021 से जून 2021 तक चलेगा, जहां गुरु एकादश भाव में नीच के होकर उस भाव के अधिपति शनि से परिवर्तन योग में हैं। शनि गुरु की राशि मीन में तथा गुरु शनि की राशि मकर में होकर एक बड़ा धन योग बना रहे हैं। इस योग के प्रभाव से बेहद विकट परिस्थियों में तृणमूल कांग्रेस सत्ता में वापसी कर सकती है। आगामी 13 अप्रैल से मंगल का बंगाल की प्रभाव राशि मिथुन में आना कुछ बेहद अप्रिय घटनाओं के बाद तृणमूल कांग्रेस को दोबारा सत्ता पर काबिज कर सकता है।

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