ज्योतिष

श्राद्ध : क्या करें और क्या नहीं करे, जानें पूरी जानकारी

पूर्णिमा से अमावस्या के ये 15 दिन पितरों को कहे जाते हैं। इन 15 दिनों में पितरों को याद किया जाता है और उनका तर्पण किया जाता है। श्राद्ध को पितृपक्ष और महालय के नाम से भी जाना जाता है। इस साल 2018 24 से 8 अक्टूबर तक श्राद्धपक्ष रहेगा। जिन घरों में पितरों को याद किया जाता है वहां हमेशा खुशहाली रहती है। इसलिए पितृपक्ष में पृथ्वी लोक में आए हुए पितरों का तर्पण किया जाता है। जिस तिथि को पितरों का गमन (देहांत) होता है उसी दिन पितरों का श्राद्ध किया जाता है।
पितृपक्ष में महिला और पुरुष दोनों को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इन दिनों पितर आपके घर में सूक्ष्म रूप से रहते हैं। ये दिन पितरों को याद करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए हैं इसलिए इन दिनों संयम बरतना चाहिए।

इन दिनों बर्तन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। संभव हो सके तो ब्राह्मणों को पत्तल पर भोजन करवाएं और स्वयं भी करें। शास्त्रों में श्राद्धपक्ष के दिन इस तरह भोजन करवाना उत्तम माना गया है।डॉ.नीना शर्मा अंतरराष्ट्रीय ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुविशेषज्ञ नैदरलैन्द ।पितृ पक्ष में घर पर शांति का माहौल रहना चाहिए। इन दिनों वाद-विवाद नहीं करना चाहिए। घर में अशांति रहने से पितृगण की कृपा नहीं मिलती। हर रोज पितृगणों का ध्यान करें और उनके नाम का कुछ ना कुछ दान करें। ऐसा करने से जीवन में आपको कभी किसी चीज की कमी नहीं होगी।श्राद्ध करने के अपने नियम होते हैं। श्राद्ध पक्ष हिंदी कैलेंडर के अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष में आता है। जिस तिथि में जिस परिजन की मृत्यु हुई हो, उसी तिथि में उनका श्राद्ध कर्म किया जाता है। श्राद्ध कर्म पूर्ण विश्वास, श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाना चाहिए।

पितरों तक केवल हमारा दान ही नहीं बल्कि हमारे भाव भी पहुंचते हैं।जिन लोगों की मृत्यु के दिन की सही-सही जानकारी न हो, उनका श्राद्ध अमावस्या तिथि को करना चाहिए। सांप काटने से मृत्यु और बीमारी में या अकाल मृत्यु होने पर भी अमावस्या तिथि को श्राद्ध किया जाता है। जिनकी आग से मृत्यु हुई हो या जिनका अंतिम संस्कार न किया जा सका हो, उनका श्राद्ध भी अमावस्या को करते हैं। पति जीवित हो और पत्नी की मृत्यु हो गई हो, ऐसी महिलाओं का श्राद्ध नवमी तिथि को किया जाता है। इसे मातृनवमी कहा गया है।

इस दिन महिलाओं को भोजन कराने का विधान है।एकादशी में उन लोगों का श्राद्ध किया जाता है, जिन्होंने संन्यास ले लिया हो। इसके अतिरिक्त जिनकी इस तिथि में मृत्यु हुई हो उनका श्राद्ध इस तिथि में होगा। पितृपक्ष से एक दिन पहले पूर्णिमा तिथि को अगस्त मुनी और देवताओं की पूजा की जाती है, इस दिन इनके नाम से तर्पण किया जाता है। यह तिथि इस साल 24 सितंबर को है। 25 तारीख को दोपहर से पितरों का श्राद्ध शास्त्रों के अनुसार उचित होगा।

24 सितंबर 2018 पूर्णिमा श्राद्ध
25 सितंबर 2018 प्रतिपदा श्राद्ध
26 सितंबर 2018 द्वितीय श्राद्ध
27 सितंबर 2018 तृतिया श्राद्ध
28 सितंबर 2018 चतुर्थी श्राद्ध
29 सितंबर 2018 पंचमी श्राद्ध
30 सितंबर 2018 षष्ठी श्राद्ध
1 अक्टूबर 2018 सप्तमी श्राद्ध
2 अक्टूबर 2018 अष्टमी श्राद्ध
3 अक्टूबर 2018 नवमी श्राद्ध
4 अक्टूबर 2018 दशमी श्राद्ध
5 अक्टूबर 2018 एकादशी श्राद्ध
6 अक्टूबर 2018 द्वादशी श्राद्ध
7 अक्टूबर 2018 त्रयोदशी श्राद्ध, चतुर्दशी श्राद्ध
8 अक्टूबर 2018 सर्वपितृ अमावस्या।
डॉ.नीना शर्मा अंतरराष्ट्रीय ज्योतिषाचार्य एवं वास्तुविशेषज्ञ, नीदरलेंड

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