हिसार

रोडवेज में चालकों को सरप्लस दिखाकर दूसरे विभागों में भेजने का फैसला विभाग पर सीधा हमला : किरमारा

विभाग में नहीं कोई कर्मचारी सरप्लस, अपने कहे अनुसार बसें न लाकर कर्मचारी सरप्लस दिखा रही सरकार

हिसार,
हरियाणा रोडवेज संयुक्त कर्मचारी संघ के राज्य प्रधान दलबीर किरमारा ने परिवहन विभाग द्वारा 1000 चालकों को सरप्लस दिखाकर दूसरे विभागों में समायोजित किए जाने के निर्णय को गलत बताते हुए इसे विभाग के लिए निजीकरण के द्वार खोलने वाला कदम बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार के कहे अनुसार परिवहन बेड़े में बसों की संख्या न बढऩा तथा किलोमीटर स्कीम की बसों को जबरदस्ती लाना अघोषित निजीकरण का ही एक रूप है, जिसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।
एक बयान में दलबीर किरमारा ने कहा कि विभाग के 1000 सरप्लस चालकों को दूसरे विभागों में समायोजित किए जाने का फैसला सीधे तौर पर विभाग पर हमला है। सरकार ने किलोमीटर स्कीम के तहत बसें लाने की घोषणा करके विभाग के प्रति अपने इरादे पहले ही जाहिर कर दिए थे, जिसके विरोध में राज्यभर में 18 दिनों तक हड़ताल चली और कर्मचारियों ने पुरजोर विरोध किया। बाद में सरकार ने वार्ता के समय कहा था कि मार्च 2020 तक विभाग में 867 बसें नई शामिल की जाएंगे लेकिन वे बसें भी शामिल नहीं हो पाई हैं। अब सरकार ने 867 बसों का यह कोटा घटाकर 500 कर दिया है और वो भी लाने में अनावश्यक देरी की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार किलोमीटर स्कीम के तहत 700 बसें लाई है जिनमें चालक तो बस मालिकों के है और परिचालक विभाग का है। ऐसे में रोडवेज चालकों को सरप्लस दिखाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार के कथनानुसार जब 500 बसें नई लाई जानी है तो फिर इन चालकों को सरप्लस दिखाने का क्या औचित्य है।
दलबीर किरमारा ने कहा कि इसके अलावा भी इनमें अधिकतर चालक ऐसे हैं, जिनके पास चालक के अलावा परिचालक का लाइसेंस भी है। ऐसे में जो चालक अपनी इच्छानुसार परिचालक के पद पर सेवा देना चाहता है, उसे परिचालक बनाकर विभाग में रखा जा सकता है और उसके सरप्लस की नौबत नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि विभाग के चालकों, परिचालकों या अन्य कर्मचारियों को सरप्लस दिखाकर दूसरे विभागों में समायोजित किये जाने का फैसला पूरी तरह से कर्मचारी विरोधी है और उनका संगठन इसका पुरजोर विरोध करेगा। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ईमानदारी से गौर करें तो विभाग में एक भी कर्मचारी सरप्लस नहीं है बल्कि कर्मचारियों की भारी कमी है। उनका संगठन बार-बार मांग करता रहा है कि विभाग में खाली पड़े हजारों पदों पर नियमित भर्ती की जाए ताकि बेरोजगारों को स्थाई रोजगार मिल सके और वे कच्ची भर्तियों में शोषण के शिकार न हों। उन्होंने मुख्यमंत्री, परिवहन मंत्री एवं विभागीय उच्चाधिकारियों से मांग की कि चालकों को सरप्लस करके अन्य विभागों में भेजे जाने का फैसला तुरंत वापिस लें।

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