हिसार

अब जैविक खेती व एग्रो टुरिज्म कंसेप्ट को एक साथ लागू करेगा एचएयू : कुलपति

जल्द ही दीनदयाल उपाध्याय जैविक खेती उत्कृष्टता केंद्र में तलाशी जाएंगी संभावनाएं

हिसार,
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार अपने दीनदयाल उपाध्याय जैविक खेती उत्कृष्टता केंद्र मेें अब जैविक खेती और एग्रो टुरिज्म कंसेप्ट को एक साथ बढ़ावा देगा। इसके लिए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. समर सिंह ने वीरवार को विश्वविद्यालय के अधिष्ठाताओं, निदेशकों एवं प्रशासनिक अधिकारियों के साथ केंद्र का दौरा कर इसका जायजा लिया। उन्होंने कहा कि इस केेंद्र की लगभग 150 एकड़ भूमि है जिसमें जैविक खेती केंद्र के साथ-साथ एग्रो टुरिज्म की संभावनाओं को विकसित करने मेें बहुत मदद मिलेगी। इसके अलावा छह एकड़ में एक तालाब भी बनाया गया है जो इस केंद्र में सिंचाई व्यवस्था के लिए पानी की उपलब्धता के साथ-साथ झील के रूप में भी विकसित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस तालाब में प्रवासी व अन्य स्थानीय पक्षियों के लिए एक बसेरा के रूप में काम करेगा और लोगों को आकर्षित करेगा। कुलपति ने इस केंद्र में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए चल रहे विभिन्न अनुसंधानात्मक प्रयोगों का भी बारीकी से जायजा लिया और कहा कि यह केंद्र जैविक खेती के क्षेत्र में किसानों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। इस दौरान केंद्र में हरियाली को बढ़ावा देने के लिए कुलपति व अन्य अधिकारियों ने पौधारोपण भी किया गया। इस दौरान विभिन्न प्रकार के 200 पौधे लगाए गए।
पूरा केंद्र सूक्ष्म सिंचाई से है संचालित : डॉ. अनिल कुमार यादव
इस केंद्र के निदेशक डॉ. अनिल कुमार यादव ने बताया कि करीब 150 एकड़ में फैला यह जैविक उत्कृष्टता केंद्र पूर्ण रूप से सूक्ष्म सिंचाई से संचालित है। इससे एक ओर जहां पानी संरक्षण को बढ़ावा मिलता है वहीं दूसरी ओर किसान भी इस तरह की सिंचाई व्यवस्था को अपने खेत में लागू कर पाएंगे। उन्होंने बताया कि इस केंद्र में इस समय प्रदेश के किसानों को ऑर्गेनिक फल और सब्जियों को उगाने के प्रति प्रेरित किया जा रहा है। किसानों को ऑर्गेनिक खेती के प्रति प्रेरित करने के उद्देश्य से ही इस केंद्र की स्थापना वर्ष 2017 में की गई थी। वर्तमान में एचएयू में विभिन्न प्रकार के फलों, सब्जियों व अनाजों को बिना रासायनिक पदार्थों का प्रयोग किए अनुसंधान किए जा रहे हैं। किसान ऑर्गेनिक कृषि से उत्पादन में वृद्धि व आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं। इससे मिट्टी की गुणवत्ता और उपजाऊपन को बढ़ाया जा सकता है। इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ खेत में सूक्ष्म जीवों की भी संख्या में भी बढ़ोतरी होती है व मिट्टी की संरचना में सुधार होता है।
ये रहे मौजूद
इस अवसर पर कुलपति के ओएसडी डॉ. एमएस सिद्धपुरिया, अनुसंधान निदेशक डॉ. एसके सहरावत, कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एके छाबड़ा, स्नातकोत्तर अधिष्ठाता डॉ.बिमला ढांडा, मौलिक एवं मानविकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. राजवीर सिंह सहित विश्वविद्यालय के निदेशकों सहित वैज्ञानिक, प्रशासनिक अधिकारी व अन्य कर्मचारी मौजूद रहे।

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