मैं सोचता ही रह गया
कब खत्म होगी महामारी,
कैसे खत्म होगी बीमारी?
ऑक्सीजन की हो रही किल्लत भारी,
कब बंद होगी दवाइयों की कालाबाजारी?
क्या लुप्त हो गई ईमानदारी,
कहां चली गई होशियारी?
क्या नहीं रही वफादारी,
क्यों हर तरफ दिख रही लाचारी?
कितना और नचाएगी महामारी
कैसी निजात पाएगी जनता सारी?
कब तक लगेंगे लाशों के ढेर,
समय का कब बदलेगा फेर?
कहां चली गई ताबेदारी,
अव्यवस्था के लिए किसकी है जिम्मेवारी?
मैं सोचता ही रह गया…!
पुष्कर दत्त
मो. 94163-38524