एचएयू में विश्व मधुमक्खी दिवस के उपलक्ष्य में मधुमक्खी पालन : अवसर और चुनौतियां विषय पर वेबिनार आयोजित
हिसार,
बेरोजगार युवा मधुमक्खी पालन को अपनाकर अपना खुद का रोजगार शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा किसान खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन को सहयोगी व्यवसाय के रूप में अपनाकर अपनी आमदनी में इजाफा कर सकते हैं। मधुमक्खी पालन को किसान थोड़े से पैसे से शुरू कर अपने व्यवसाय को बड़े स्तर तक बढ़ा सकते हैं।
यह बात हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बीआर कांबोज ने सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण एवं शिक्षण संस्थान व कीट विज्ञान विभाग द्वारा विश्व मधुमक्खी दिवस के उपलक्ष्य में मधुमक्खी पालन : ‘अवसर और चुनौतियां’ विषय पर आयोजित ऑनलाइन वेबिनार को संबोधित करते हुए कही। मुख्य अतिथि ने कहा कि हरियाणा फसल उत्पादन व उत्पादकता में श्रेष्ठ है व राज्य के विभिन्न जिलों में ऐसे लंबे भू-भाग हंै जहां सरसों, सफेदा, सूरजमुखी, बरसीम, कपास, बाजरा, अरहर, खैर, फल व सब्जियां, आदि फसलें उगाई जाती हैं जो मधुमक्खियों को प्रचुर मात्रा में लगभग 9 माह तक भोजन उपलब्ध करवाती हंै। इसलिए हरियाणा मधुमक्खी पालन के हिसाब से सर्वोत्तम प्रांत है। इसके उत्तर पूर्वी जिलों (करनाल, यमुनानगर, कुरूक्षेत्र, अम्बाला) में यह व्यवसाय पूर्णतया विकसित है जहां प्रदेश के लगभग 80 प्रतिशत मधुमक्खी पालक हंै। इसके अतिरिक्त कैथल, सोनीपत, पानीपत, रोहतक, रेवाड़ी, महेन्द्रगढ़, हिसार, भिवानी, सिरसा व फतेहाबाद जिलों में भी यह व्यवसाय विकासशील है व इसके और विकसित होने की प्रबल संभावनाएं हैं। मुख्य अतिथि ने कहा कि प्रदेश के छोटे व सीमांत किसान व भूमिहीन व बेरोजगार मधुमक्खी पालन को एक वैकल्पिक व्यवसाय के तौर पर अपना सकते हैं। मधुमक्खी परागकरण क्रिया द्वारा फसल की पैदावार व गुणवत्ता बढ़ाने में भी सहायक होती है।
कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर डॉ. अशोक गोदारा, सह-निदेशक(प्रशिक्षण) ने मुख्यातिथि का स्वागत किया। विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. रामनिवास ने कार्यक्रम की रूपरेखा की विस्तृत जानकारी दी और प्रतिभागियों से इस वेबिनार का अधिक से अधिक लाभ उठाने का आह्वान किया। कीट विज्ञान विभाग से सेवानिवृत्त प्रोफेसर एचडी कौशिक ने मधुमक्खी पालन के समक्ष चुनौतियां और अवसर विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। विभागाध्यक्ष डॉ. योगेश कुमार ने मधुमक्खी पालन की महत्ता पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी। सहायक वैज्ञानिक डॉ. सुनीता कुमारी ने मधुमक्खी पालन की विविधताएं विषय पर विस्तृत प्रकाश डाला। कीट विज्ञान विभाग के सहायक निदेशक डॉ. भूपेन्द्र सिंह ने सभी प्रतिभागियों का वेबिनार के समापन अवसर पर धन्यवाद किया।