हिसार

शहर के नागरिकों की डाक नहीं ले रहा मेयर कार्यालय, डाक को अगले ही दिन लेने से इनकार लिखकर वापिस लौटाया

हिसार,
भले ही हिसार का मेयर बनने के बाद गौतम सरदाना ने निगम से भ्रष्टाचार को समाप्त करने के दावे किये हो निगम प्रशासन को पारदर्शी व जनता के अनुरूप बनाने का दावा किया हो, लेकिन ऐसा संभव नजर नहीं आ पा रहा है। और तो और शहर के नागरिकों द्वारा मेयर कार्यालय में भेजी जा रही रजिस्टर्ड डाक भी लेने से मना कर दिया जाता है। हेतराम पार्क कालोनी निवासी राजीव सरदाना द्वारा भेजी गई रजिस्टर्ड डाक यह कहते हुए वापिस लौटा दी गई कि इसे मेयर कार्यालय में लेने से मना कर दिया गया है।
जी हां, राजीव सरदाना ने राज्य चुनाव आयुक्त, हिसार मंडल के आयुक्त, हिसार के उपायुक्त व एडीसी को शिकायत भेजी थी। शिकायत में कहा गया था कि हाल ही में चुने गये मेयर व पार्षदों ने संविधान की पालना करने की कसम खाई है लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। उदाहरण देते हुए सरदाना ने लिखा है कि वार्ड 15 के पार्षद प्रीतम सैनी ने चुनाव लडऩे के लिए भरे गए नामांकन में गलत जानकारी देकर चुनाव प्रक्रिया का उल्लंघन किया है। उनका आरोप है कि नामांकन के साथ लगाए गए शपथ पत्र में पार्षद प्रीतम ने कहा है कि उन पर कोई मामला किसी अदालत में लंबित नहीं है जबकि उन पर अगस्त 2018 में दायर एक मामला जिला एवं सत्र न्यायालय में लंबित है और 4 फरवरी को इसकी सुनवाई है। ऐसे में सब कुछ जानकारी में होते हुए उक्त व्यक्ति ने चुनाव प्रक्रिया का न केवल मजाक उड़ाया बल्कि जनप्रतिनिधि कानून 1951 की धारा 125ए का उल्लंघन भी किया।
हालांकि राजीव सरदाना द्वारा भेजी गई शिकायत पर अभी तक किसी तरफ से कोई कार्रवाई नहीं हुई है लेकिन सरदाना ने शिकायत की एक प्रति हिसार के मेयर गौतम सरदाना को भेजकर मांग की थी कि वे इसमें सहयोग करें। राजीव सरदाना के अनुसार गौतम सरदाना हमेशा न्याय व सच्चाई की बात करते रहते हैं तो उन्हें इस मामले में शीघ्र जांच करवानी चाहिए क्योंकि मामला उनकी पार्टी से जुड़े पार्षद का भी है। लगता है कि राजीव सरदाना द्वारा अपनी पार्टी के पार्षद की शिकायत भेजे जाने की भनक गौतम सरदाना को पहले ही लग गई थी। ऐसे में 21 जनवरी को भेजी गई रजिस्टर्ड शिकायत अगले ही दिन 22 जनवरी को वापिस शिकायतकर्ता के पास आ गई। रजिस्टर्ड डाक के लिफाफे पर स्पष्ट रूप से लिखा हुआ कि ‘मेयर कार्यालय ने लेने से इनकार किया।’
राजीव सरदाना का कहना है कि किसी भी राजनेता के लिए संविधान की शपथ से बढ़कर कोई शपथ नहीं हो सकती। गौतम सरदाना ने मेयर पद संभालते हुए जो संवैधानिक शपथ ली है उसके चलते उन्हें संबंधित मामले में प्राथमिकी दर्ज करवाकर निष्पक्ष जांच करवानी चाहिए। मेयर सरदाना ने पद और गोपनीयता की शपथ लेते हुए जब कहा था कि वह बिना किसी भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करेंगे, आज उसको सच साबित करने का अवसर आ गया है। उन्होंने कटाक्ष किया कि इसे भाजपा वालों की संगति का असर कहें या सत्ता का गुमान कि शहर के प्रथम नागरिक नवनिर्वाचित मेयर साहब शहर के एक नागरिक का पत्र तक वापस लौटा रहे है। इसी तरह पीयूष बूरा का कहना है कि संघर्ष की कठिन डगर से निकलकर से सत्ता के गलियारे तक पहुंचते पहुंचते व्यक्ति की विचारधारा में आकस्मिक बदल दुखद है। सत्ता का रसगुल्ला मुंह में डालकर बोलना मेयर साहब को कठिन प्रतीत हो रहा है।

मेयर ने नहीं की बात
इस संबंध में जानकारी के लिए मेयर गौतम सरदाना को दो बार फोन किया गया, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई। उनका फोन उठाने वाले व्यक्ति ने बार-बार यही कहा कि मेयर साहब मीटिंग में बिजी है, जब फ्री होंगे तब बात करवा दी जाएगी।

मेरे पर नहीं कोई केस : सैनी
उधर, वार्ड 15 के नवनिर्वाचित पार्षद प्रीतम सैनी ने इस तरह की किसी शिकायत की जानकारी होने से मना किया है। उन्होंने कहा कि शिकायत हुई है तो वे जांच के लिए तैयार हैं। जहां तक उन पर अदालत में केस लंबित होने की बात है, वह है ही नहीं। जो मामला अदालत में लंबित बताया जा रहा है, उसका उन्हें अभी तक कोई नोटिस नहीं मिला है, यदि नोटिस मिलेगा तो वे उसमें भी सहयोग को तैयार है। उनका कहना है कि जिस मामले का जिक्र है, वह लेन-देन का मामला था और इसमें समझौता हो चुका है।

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Jeewan Aadhar Editor Desk