हिसार

कोई भी व्यक्ति रक्त की कमी से अपनी जान न गवाएं, यही लक्ष्य है हमारा : स्वामी सदानंद

युवा शक्ति स्वैच्छिक रक्तदान के माध्यम से जरुरतमंदो के लिए समाज के प्रति अपना दायित्व निभाए : राकेश शर्मा

आदमपुर,
भारतवर्ष के किसी भी संत के सानिध्य में जब कोई सामाजिक सेवा का बीड़ा उठाया जाता है तो वो क्रांति का रूप ले लेता है। देश—विदेश में अपनी आध्यत्मिक यात्रा करते—करते करीब 150 गौशालाओं का संचालन व 200से ज्यादा मानसिक विक्षिप्त लोगों के लिए अपना घर में आश्रय के माध्यम से सेवा का पर्याय बन चुके स्वामी सदानंद प्रणामी चैरिटेबल ट्रस्ट ने अब रक्तदान क्षेत्र में भी पूरे देश भर में रक्तदान क्रांति का आगाज किया है।
प्रणामी मिशन के प्रमुख संत स्वामी सदानंद का कहना है कि हमारा उद्देश्य है कि रक्त की कमी से कोई भी जरूरतमंद अपनी जान न गंवाए चाहे वो देश के किसी भी कोने में हो। उनके सानिध्य में स्वैच्छिक रक्तदान अभियान के राष्ट्रीय संयोजक प्राध्यापक राकेश शर्मा इस अभियान को देश के कोने—कोने में लेकर गए ताकि शत्—प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान के माध्यम से बिना रिप्लेसमेंट के रक्त उपलब्ध हो सके। हरियाणा के मंडी आदमपुर से शुरू होकर राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, प बंगाल, आसाम तक रक्तदान शिविरों के माध्यम से क्रांति का आगाज किया है। अभी तक 120 शिविरों के माध्य्म से 28000 से ज्यादा यूनिट्स एकत्रित की जा चुकी है। सभी जगह रेड क्रॉस सोसाइटी की मदद से सरकारी अस्पतालों में यह रक्त उपलब्ध करवाया जाता है।

स्वामी सदानंद महाराज के अनुसार ये रक्त थैलेसीमिया से पीड़ित कोई बच्चा हो या ब्लड कैंसर से पीड़ित, प्रसव के दौरान जरूरत माँ हो या सड़क दुर्घटना में पीड़ित व्यक्ति, भारतीय सेना का जवान हो या उसके परिवार के सदस्य, जरुरत के समय उनके लिए ये रक्त दिया जाता है ताकि उनकी जान बचाई जा सके। ट्रस्ट द्वारा भारतीय सेना के लिए भी हर वर्ष भिवानी में रक्तदान शिविर का आयोजन किया जाता है।

संस्था द्वारा राकेश शर्मा के निर्देशन में विश्व रक्तदाता दिवस को पिछले 10 वर्षों से भव्य उत्सव के रूप में मनाया जाता है ताकि आमजन रक्तदान को गौरवान्वित होने वाला पल महसूस करे। एंड्राइड एप्प के माध्यम से कोई भी जरूरतमंद सीधा रक्तदाता से सम्पर्क कर सकता है।

राकेश शर्मा शिक्षक के साथ—साथ निभा रहे है रक्तदान क्रांति के दूत की भूमिका
आठ साल पहले जब थैलीसीमिया से पीड़ित बच्चे को रक्त नहीं मिल रहा था तो दिल व्यथित हो गया था। प्राध्यापक राकेश शर्मा जो स्वयं अभी तक 68 बार रक्तदान कर चुके है वो देश के विभिन्न हिस्सो में जाकर रक्तदान शिविर, सेमिनार व विभिन्न प्रतियोगिताओ के माध्यम से लाखों युवाओं को रक्तदान के प्रति प्रेरणा दे चुके है। शर्मा रक्तदान को हर युवा के लिए कर्तव्य मानते है कि ये मानवता की सेवा भी राष्ट्र सेवा है। हर युवा का कर्तव्य बनता है कि वह जरूरतमंद की जान बचने के लिए रक्तदान करे क्यूंकि रक्त का कोई विकल्प नहीं है। उनके कार्य को देखते हुए महामहिम राज्यपाल हरियाणा ने उन्हें हरियाणा स्टेट रेडक्रॉस सोसाइटी में रक्तदान अभियान की उप समिति में सदस्य भी बनाया है। हर युवा व युवती रक्तदाता बने यही उनका स्वप्न है। शत—प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान देश भर में हो जिससे सुरक्षित रक्त हर किसी को उपलब्ध हो सके।

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Jeewan Aadhar Editor Desk

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