हिसार

​पंजाबी अभिनेत्री सोनिया मान ने सरकार को बताया तानाशाह, हिसार में वकीलों के धरने को दिया समर्थन

हिसार,
पंजाबी अभिनेत्री सोनिया मान मंगलवार को किसानों आंदोलन के समर्थन में वकीलों के धरने में पहुंची। इस दौरान उन्होंने कहा कि वकीलों द्वारा किसानों के समर्थन में धरना देना समाज के लिए काफी मैसेज है। इससे सरकार को पता चलेगा कि समाज का प्रत्येक वर्ग आज किसानों के साथ खड़ा है। वकीलों जैसा बुद्धिजीव वर्ग का किसानों के साथ आना साफ करता है कि सरकार के बिल में बहुत गड़बड़ी है।

सोनिया मान कहा कि सरकार ने पिछले 7 माह से किसानों के साथ बात करने के स्थान पर सौदा करने की कोशिश ही की है। बिना किसी कारण के सरकार टकराव का माहौल बनाने का प्रयत्न करती है। किसान काफी संयम से काम ले रहे हैं। आज किसान यदि राज्यपाल को ज्ञापन देने जाता है तो पुलिस तैनात हो जाती है। किसानों पर पानी की बौछार करवाई जा रही है। बैरिकेट लगा दिए जाते हैं। लाठियों से पीटा जाता है। ये सब क्या प्रजातंत्र है। सरकार को किसानों के विरोध को देखते हुए बिल वापिस ले लेने चाहिए।

किसानों को समर्थन देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मेरे पिता किसान नेता थे। वे किसानों के लिए शहीद हुए। मैं क्रांतिकारी परिवार से हूं। पिता को दिए वचन का पालन करते हुए किसानों की आवाज सदा बुलंद करती रहुंगी। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली सहित जहां भी लोगों को एकत्रित करने के लिए उनकी आवश्यकता होगी वे बिना झिझक के पहुंचेगी। मान ने कहा मानसून सत्र में किसान संसद घेराव करेंगे तो मैं अवश्य उनके साथ देना चाहूंगी।

उन्होंने बताया कि चंडीगढ़ में राज्यपाल को ज्ञापन देने वाले दिन वह आंदोलन में नहीं थी। वह नाडा साहिब में थी। लेकिन इसके बाद भी आईपीएस जैसे साफ छवि के अफसर ने सरकार के दवाब में कहा कि सोनिया मान के हाथ में तलवार थी और उन्होंने पुलिसकर्मियों को पीटा—बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यह सरकार की तानाशाही को दर्शाता है। अभी उन पर सरकार के दवाब में 8 पर्चे दर्ज किए गए है यदि ये लोग 100 पर्चे भी दर्ज करे तो भी वह निड़रता के साथ किसानों का साथ देगी। उन्होंने कहा वे हरियाणा के मजदूर, दुकानदार, व्यापारी, कर्मचारी सहित प्रत्येक वर्ग से भाजपा सरकार के दवाब से निकलकर किसानों का साथ देने की अपील कर रही हूं ताकि यह किसानों का दर्द सबका सांझा दर्द बन सके।

आज के धरने पर एडवोकेट जेएस मल्ही, गंगराम, राजपाल मलिक, प्रदीप बाजिया, राजवीर सिंह पूनियां, अजीत सिंह ढांडा, विक्रम मित्तल, सत्येंद्र घनघस, अजीत श्योराण, महेंद्र सिंह नैन, योगेश सिहाग, राजबीर मोर, सोमदत्त सिवाहा, हर्षदीप गिल, सुमित फोगाट, मनजीत नैन, संदीप श्योराण, अनिल जलंधरा, कमल सहरावत, अमला देवी, सीमा बलौदा सहित काफी संख्या में वकील मौजूद थे।

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