जिला विस्तार विशेषज्ञों के लिए क्षमता संवर्धन कोर्स में रखे अपने सुझाव, देशभर से हिस्सा ले रहे हैं प्रतिभागी
हिसार,
विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया अनुसंधान कार्य तभी सफल होगा जब उसे धरातल तक पहुंचाया जाए। इसके लिए लैब टू लैंड की रणनीति को अपनाकर वैज्ञानिकों को काम करना होगा ताकि उनके द्वारा विकसित तकनीकों का किसान अधिक से अधिक लाभ उठा सकें।
यह बात हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बीआर कम्बोज ने प्रारंभिक प्रशिक्षण के दौरान किया। ऑनलाइन कोर्स का आयोजन विश्वविद्यालय के मानव संसाधान प्रबंध निदेशालय में एचएयू एवं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल एक्सटेंशन एंड मैनेजमेंट हैदराबाद के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। कुलपति ने कहा कि वैज्ञानिक एवं किसान एक सिक्के के दो पहलू हैं और जब तक इन दोनों में समन्वय स्थापित नहीं होगा तब तक प्रभावी अनुसंधान कार्य नहीं हो सकता। इसलिए किसानों और वैज्ञानिकों को एक दूसरे के साथ मिलकर आपसी अनुभव को बांटना होता ताकि किसी भी अनुसंधान को किसान की जरूरत व फायदे के लिए आसानी से उपलब्ध करवाया जा सके। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक विश्वविद्यालय की ओर से विकसित की गई विभिन्न फसलों की उन्नत किस्मों व तकनीकों को किसानों तक पहुंचाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से कार्यशालाओं का आयोजन कर किसानों और महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करें ताकि ज्यादा से ज्यादा तकनीकों का प्रचार-प्रसार हो सके।
मानव संसाधान प्रबंध निदेशालय के निदेशक डॉ. अतुल ढींगड़ा ने बताया कि इस रिफे्रशर कोर्स का आयोजन शिक्षक, वैज्ञानिक व विस्तार विशेषज्ञों के लिए किया गया है ताकि उनका क्षमता संवर्धन किया जा सके। कोर्स के माध्यम से प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए नवीनतम पाठ्यक्रम ज्ञान, शिक्षण सामग्री, चयनित विस्तार विधियों के उपयोग और कौशल के बारे में जानकारी दी जाएगी जिससे प्रतिभागियों को ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण को समझने में मदद मिलेगी। इस दौरान व्याख्यान, वार्ता, समूह चर्चा, समूह अभ्यास और व्यावहारिक सत्रों का भी आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि इस कोर्स में एचएयू के अलावा पश्चिमी बंगाल, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़, पुणे, अंडमान एवं निकोबार, नागालेंड से कुल 32 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। कोर्स के आयोजन में मैनेज हैदराबाद के विस्तार निदेशक डॉ. के. श्रवणन व पाठ्यक्रम संयोजिका डॉ. जी. दया का विशेष सहयोग है। प्रशिक्षण में एचएयू, विस्तार शिक्षा संस्थान नीलोखेड़ी, मैनेज हैदराबाद, आईआईटी खडग़पुर व केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान हिसार से विशेषज्ञ अपने विचार रखेंगे। विश्वविद्यालय की ओर से पाठ्यक्रम संयोजिक डॉ. मंजू मेहता ने कार्यक्रम की रूपरेखा के बारे में बताया और पाठ्यक्रम संयोजिक डॉ. अंजू सहरावत ने कार्यक्रम का संचालन किया।