लापरवाह अधिकारियों का वेतन काटकर सरकार करें व्यापारियों के नुकसान की भरपाई
आदमपुर,
अनाज मंडी से करीब 60 घंटे बाद बरसाती पानी तो उतर गया लेकिन अपने पीछे तबाही के निशान छोड़ गया। अधिकारियों की लापरवाही से आई तबाही। ऐसी तबाही जिसने अनाज मंडी के व्यापारियों और आदमपुर के आर्थिक जगत को करीब—करीब 5 साल पीछे धकेल दिया। सरकार ने एक अधिकारी को दोषी मानकर सस्पेंड कर दिया—लेकिन सवाल ये है कि व्यापारियों को हुए नुकसान का क्या होगा?? क्यों ना सरकार इन लापरवाह अधिकारियों के वेतन से अनाज मंडी के व्यापारियों और किसानों के नुकसान की भरवाई करवाएं ताकि भविष्य में नौकरशाह अपने कर्त्तव्य से किनारा करने हिम्मत न कर सके।
बरसात से हुए जलभराव का पानी शनिवार रात करीब 1 बजे उतर गया। पानी उतरने के बाद पूरी अनाज मंडी की सड़कों पर चीनी की चाश्नी में गला हुआ ग्वार, चने, सरसों और खल—बिनौले का सम्राज्य दिखाई दिया। पूरे वातावरण में सड़ांध ही सड़ांध है। लेकिन इसके बाद भी लेबर और व्यापारी लगातार अनाज को यहां से हटाने में लगे हुए हैं। वहीं सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी ऐसे समय में भी जले पर नमक छिड़कने से बाज नहीं आ रहे। शनिवार को आदमपुर मार्केट कमेटी की सचिव ने अपने विभाग की लापरवाही पर पर्दा डालने के लिए जलभराव के बीच ही व्यापारियों से तुरंत शैड खाली करने के तानाशाही भरा निर्देश जारी कर दिया। व्यापारियों के विरोध के चलते उच्चाधिकारियों को माफी मांगते हुए निर्देश वापिस लेने पड़े।
अब सवाल उठता है कि ऊंचे पद पर बैठे अधिकारी इतने निरंकुश क्यों हो जाते हैं?? अपनी गलतियों को छुपाने के लिए सरकार और जनता के बीच खाई खोदने का काम क्यों करते हैं?? क्यों जनता पर अत्याचार करके सरकार के प्रति नफरत पैदा करने का काम करते हैं?? ऐसे अधिकारियों पर सरकार कार्रवाई क्यों नहीं करती—ये कुछ ऐसे सवाल है जिनका जवाब ना नौकरशाहों के पास है और ना ही सत्ता दल के नेताओं के पास। इन सवालों का जवाब न होने के कारण ही आमजन पीस रहा है, पीसता आया है और शायद आगे भी पीसता रहेगा।