लंदन,
ब्रिटेन में भारी वाहनों के ड्राइवरों की कमी हो गई है। ट्रक जैसे वाहनों के चालक नहीं मिल रहे हैं। इसलिए सारा बोझ छोटे सप्लाई वाहनों पर आ गया है और ईंधन की सप्लाई पर इसका नकारात्मक असर पड़ा है।
ब्रिटेन में करीब दो तिहाई पेट्रोल पंप के पास ईंधन नहीं है। ऐसे में वाहनों में फ्यूल भरवाने के लिए पेट्रोल पंप पर भीड़ जमा हो रही है। पेट्रोल पंप के बाहर वाहनों की लंबी कतार लग रही है। बड़ी संख्या में ऐसी दुकानें हैं जहां सप्लाई सुचारू न होने की वजह से खाने के सामान की भी किल्लत हो गई है।
बहुत से डिपार्टमेंटल स्टोर ऐसे हैं जिनमें सामान नहीं है। लोग खाली हाथ लौट रहे हैं और जहां सामान है, वहां घबराहट से लोग जरूरत से ज्यादा खरीददारी कर रहे हैं। हालात इतने खराब हो गए हैं कि पेट्रोल संकट से निपटने के लिए ब्रिटेन सरकार अब सेना की मदद ले रही है। सेना के जवानों को तैयार रहने और जरूरत पड़ने पर ये काम करने को कहा गया है।
दरअसल, ब्रिटेन के Office for National Statistics के अनुसार पिछले एक साल के दौरान देश में भारी वाहनों के ड्राइवरों की संख्या में 70000 की कमी आई है। ड्राइवरों की ये कमी अब विस्फोटक स्तर तक पहुंच चुकी है। इस समय वहां मांग और आपूर्ति के चक्र को संतुलित करने के लिए एक लाख अतिरिक्त ड्राइवर्स की जरूरत है। लंबे लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंधों की वजह से बहुत से विदेशी ड्राइवर्स ने ब्रिटेन छोड़ दिया है।
जानकारी के मुताबिक साल 2020 में पूरे साल ड्राइविंग टेस्ट भी कम हुए। इससे भी भारी वाहनों के 30 हजार ड्राइवरों की कमी आई और यूरोपियन यूनियन से ताल्लुक रखने वाले भारी वाहनों के 20 हजार ड्राइवर भी Brexit की प्रक्रिया के दौरान ब्रिटेन छोड़कर चले गए थे। इनमें से ज्यादातर ड्राइवर अब भी नहीं लौटे हैं।
हालत ये हो गई है कि ब्रिटेन की सरकार भारी वाहन चलाने वाले 5000 विदेशी ड्राइवर्स को अस्थायी वीजा पर तीन महीने के लिए ब्रिटेन बुला रही है। भारी वाहनों के लाइसेंस धारकों को करीब 10 लाख चिठ्ठियां भेज रही हैं ताकि जिन्होंने ये काम छोड़ा है उनमें से कुछ वापस आ जाएं।
बताया जा रहा है कि हालात की गंभीरता को देखते हुए सरकार सेना के करीब 150 टैंकर ड्राइवरों को भी पेट्रोल की डिलिवरी के लिए बुला सकती है। परेशानी ये भी है कि ब्रिटेन के ड्राइवर्स की औसत उम्र 55 साल है। ज्यादातर ड्राइवर्स रिटायरमेंट के करीब हैं और सिर्फ एक फीसदी चालकों की ही उम्र 25 साल से कम है।
एक जानकारी ये भी सामने आ रही है कि केवल ब्रिटेन ही नहीं, यूरोप के तमाम अन्य देशों में भी प्रशिक्षित ड्राइवरों की भारी कमी है। साल 2020 में ही पोलैंड में 1 लाख 24 हजार और जर्मनी में 60 हजार ड्राइवर कम थे।