हिसार

साइबर क्रिमनल के निशाने पर हिसार

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शहर में साइबर क्राइम के साथ-साथ आमजन की मदद के बहाने एटीएम कार्ड बदलने वाला गिरोह भी सक्रिय हो रहा है। आए दिन एटीएम बदलने की घटनाएं होने लगी हैं, मगर पुलिस इस गैंग के आरोपियों तक नहीं पहुंच पाई है। एटीएम कार्ड बदलने की घटना बीती शाम जिंदल फैक्टरी के कर्मी से एक युवक ने एटीएम कार्ड बदल लिया और उनके खाते से तीन बार एटीएम कार्ड स्वैप कर 14 हजार रुपए निकाले और इसके बाद उनके खाते से करीबन 25 हजार रुपए की नकदी किसी दूसरे खाते में ट्रांसफर कर दी। पुलिस को इस मामले में शिकायत तो दे दी गई है, मगर पुलिस ने शिकायतकर्ता को अभी इन आरोपियों तक पहुंचने में असमर्थता जताई है।
जिंदल इंडस्ट्रीज में कार्यरत लेबर कॉलोनी निवासी दूधनाथ बीते दिन जिंदल चौक के पास अपने एटीएम कार्ड से पैसा निकलवाने के लिए चौक पर लगी एटीएम पर पहुंचा। यहां पहले से ही एक युवक खड़ा था। उन्होंने बताया कि मशीन में एटीएम कार्ड स्वैप करने के बाद भी पैसा नहीं निकला। इस पर युवक ने उनकी मदद के बहाने एटीएम कार्ड ले लिया और उस कार्ड का पासवर्ड भी जान लिया। इस बीच आरोपी युवक ने उनका मशीन की तरफ ध्यान भटकाते वक्त उनके एटीएम कार्ड को बदलकर उनको थमा दिया। बाद में जब उन्होंने एक अन्य एटीएम पर पैसा निकालना चाहा तो कार्ड के बदले जाने का पता चला। उन्होंने तुरंत बैंक मे इसकी जानकारी दी, मगर बैंक के जरिए उन्हें पता चला कि उनके खाते से करीबन डेढ़ घंटे के भीतर तीन बार एटीएम कार्ड के जरिए क्रमश: 10 हजार, दो हजार, दो हजार करके नकदी निकाली गई है और इसके थोड़ी ही देर बाद आरोपी युवक ने उनके एटीएम कार्ड के जरिए दूधनाथ के खाते से किसी अन्य बैंक के खाते में 25 हजार रुपए की प्लास्टिक मनी ट्रांसफर की है।
50 ट्रांजैक्शन कर 2.20 लाख रुपए की नकदी से ही ऑनलाइन शॉपिंग
प्लास्टिक मनी की ट्रांसफर में बालसमंद रोड क्षेत्र स्थित आर्य कॉम्पलैक्स निवासी अभय आर्य के खाते से ठग ने 2 लाख 22 हजार रुपए निकाले। हैरत की बात है कि साइबर क्राइम करने वाले इस ठग ने यह सारी राशि करीबन 50 ट्रांसजैक्शन के माध्यम से निकाली और सभी ट्रांस्जैक्शन्स में आरोपी ने ऑनलाइन शॉपिंग की है, मगर आर्य को इस ठगी की भनक तक भी नहीं लगी। पुलिस ने बताया कि हाल ही में जब उन्होंने अपने खाते में नकदी चैक करवाई तो ठगी के शिकार होने का पता चला और बैंक में पहुंच कर पैसा निकलने की जानकारी जुटाई। बैंक प्रबंधन ने इस राशि से ऑनलाइन शॉपिंग होने के बारे में बताया। उन्होंने तुरंत इस मामले की शिकायत पुलिस में दर्ज करवाई। पुलिस ने फिलहाल आरोपी के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
नोटबंदी के बाद बढ़ा साइबर एंड प्लास्टिक मनी ट्रांसफर फ्राड
नोटबंदी के पश्चात देश में प्लास्टिक मनी और ऑनलाइन मनी ट्रांसफर के प्रचलन के साथ ही आमजन करोड़ों रुपए की ठगी का शिकार बन चुका है। हैरत की बात है कि लगातार बढ़ रही इस तरह की अपराधिक घटनाओं पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। आमजन को फोन कॉल कर उनके खाते को सीज करने, उनके एटीएम को निरस्त करने जैसे डरावे देकर लोगों से पैसा ऐंठा जा रहा है और इस तरह के बढ़ते अपराधों पर न तो पुलिस प्रशासन रोक लगा पा रहा है और न ही बैंक प्रबंधन। तकनीकी विशेषज्ञों की मानें तो प्लास्टिक मनी की ट्रांसजैक्शन बैंक के साथ सीधे लिंक में होती है और यदि बैंक प्रबंधन पुलिस प्रशासन के साथ संयुक्त रूप से काम करे तो इन घटनाओं पर अंकुश लग सकता है।
बैंक के खातों पर फर्जी पते
सरकार और बैंक प्रबंधन भले ही देश के तमाम बैंक खाताधारक के पते व अन्य दस्तावेजों के सही होने की पुष्टि के लिए इन्हें आधार कार्ड के साथ सीड कर रहा हो, मगर अभी भी देश के अनेक क्षेत्रों में कई खाताधारक हैं जिनके खाते आधार कार्ड के साथ सीड नहीं हुए। पुलिस की आरंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि प्लास्टिक मनी फ्राड और ठगी कर नकदी को एक खाते से दूसरे खाते में ट्रांसफर करने की घटनाओं में ठग ने जिस खाते में पैसा ट्रांसफर किया है, उस खाते पर सही पता नहीं है। ऐसे में पुलिस की जांच का दायरा सीमित हो जाता है और आरोपी इसी का फायदा उठाते हुए आमजन को लगातार ठगी का शिकार बनाता जा रहा है।

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