धर्म

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परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से -83

Jeewan Aadhar Editor Desk
विनाशकाले विपरीत बुद्धि: के अनुसार यदुवंशियों को कुछ समझ में नहीं आया। एक बार सन्तों का आगमन हुआ। आदर सत्कार करना तो दूर,शराब के नशे...
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सत्यार्थप्रकाश के अंश—20

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राजा और राज्यसभा के सभासद् तब हो सकते हैं कि जब वे चारों वेदों की कर्मापासना ज्ञान विद्याओं के जाननेवालों से तीनों विद्या सनातम दण्डनीति...
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परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—82

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लक्ष्मी को पाकर उसका सदुपयोग करना सबके वश की बात नहीं है। माया के साथ अनेक प्रकार की बुराईयाँ इन्सान में पनप जाती है। ऐश्वर्य,सम्पति...
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सत्यार्थ प्रकाश के अंश—19

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सब सेना और सेनापतियों के ऊपर राज्याधिकार,दण्ड देने की व्यवस्था के सब कार्यो का आधिपत्य और सब के ऊपर वर्तमान सर्वाधीश राज्यधिकार इन चारों अधिकारों...
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ओशो : झुकने की कला

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जिसकी गली में ,जिस के आसपास,जिसके सान्निध्य में,स्वर्ग की तुम्हें पहली दफा थोड़ी-सी झलक मिले, एक क्षण को सही,एक क्षण को पर्दा हटे-वही सदगुरू। जिसके...
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परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—81

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जवानी में तुलसीदासजी अपनी पत्नी पर बड़े आसक्त थे। एक बार उनकी पत्नी अपने मायके गई तो उनसे उनका वियोग सहा नहीं गया, विरह से...