धर्म

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 453

जर्मनी के जोसेफ बर्नार्ड अपनी बाल्यावस्था से लेकर किशोरावस्था तक अत्यंत बुद्धिहीन रहे। उनके पिता ने अच्छी से अच्छी ट्यूशन लगवाई, किंतु कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। वे अत्यंत मेधावी शिक्षकों को जोसेफ बर्नार्ड को शिक्षण देने हेतु नियुक्त करते थे, किंतु वह इतने जड़ बुद्धि थे कि किसी भी प्रकार से ज्ञान व शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते थे।

एक दिन उनके पिता इस बात से नाराज होकर बोले- “तेरे जैसी बुद्धू औलाद से तो कुत्ते का बच्चा पालना अच्छा होता था। यह बात जोसेफ को चुभ गई। तब उन्होंने पूर्ण मनोयोग और लगन से अध्ययन आरंभ किया। जिससे चमत्कारी परिणाम सामने आए और वे अत्यधिक मेधावी बने उन्होंने कई धार्मिक ग्रंथ कंठस्त कर लिए और कुछ ही वर्षो में वे नौ भाषाओं के मूर्धन्य विद्वान बन गए।

अपने विभाग के नौ अधिकारियों को एक साथ बैठाकर कितने ही आदेश वह एक साथ लिखवा देते और अनेक सेवा कार्यो को अंजाम देते। उन्हें लोग चमत्कारी पुरुष मानने लगे। जर्मनी के इतिहास में उन्हें मेधा का धनी माना जाता है, जबकि किशोरावस्था तक वे अत्यंत मूढ़ कहे और समझे जाते थे।

धर्मप्रेमी सुंदरसाथ जी, संकल्पित होकर लक्ष्य प्राप्ति के लिए किया गया प्रयास व्यक्ति के जीवन में असाधारण परिवर्तन ला देते हैं। इसलिए बेहद जरूरी है कि पहले अपने जीवन के लक्ष्य निर्धारित किए जाएं, फिर दृढ़ संकल्पित होकर उन्हें प्राप्त करने में जुट जाएं। इससे सफलता अवश्य प्राप्त होगी।

Shine wih us aloevera gel

https://shinewithus.in/index.php/product/anti-acne-cream/

Related posts

जानें अष्टमी पर कन्याओं के भोजन व पूजन का शुभ मुहूर्त

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—32

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—152