धर्म

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—46

एक बार एक राजा ने अपने राज्य में एक बाजार ऐसा लगवाया, जिसमें शादी-विवाह में काम आनेवाली सभी वस्तुएँ उपलब्ध थीं। यह सोचकर कि राजा को इधर-उधर दूसरे शहर में आने जाने की तकलीफ न हो। राजा ने घोषणा करवा दी कि जरूरतमंद लोगों को उचित दर पर सब माल दिया जाये। एक सप्ताह के बाद राजा ने मन्त्री को बुलाया और पूछा, मन्त्री जी प्रजा को इस व्यवस्था ये कितना लाभ पहुँचा, और उनकी इस व्यवस्था में क्या राय हैं? मन्त्री महोदय ने कहा राजन् मेरे कानों में यह भनक पड़ी है कि निर्धनों का कहना है कि जिस के पास पैसा हो, वही इस बाजार से खरीद सकता है, हमको उससे क्या लेना देना? सुनकर राजा ने कहा, जाओ, और यह घोषणा करवा दो कि राज्य के सभी वर्ग महिला हो या पुरूष, बच्चाा हो या बूढ़ा सभी इस प्रदर्शनी को देखने आएँ और एक वस्तु, मुफ्त राजा की ओर से भेंट ले जाएँ।

घोषणा के अनुसार सभी आए और मनचाही वस्तु पाकर राजा की जय जयकार करते हुए चले गए। राजा ने पूछा,कोई बाकी तो नहीं बचा? पता चला कि एक ऐसी माता है जो नहीं आई प्रदर्शनी देखी लेकिन कुछ भी लेने से इंकार कर दिया। राजा के पास उसको लाया गया। राजा ने बड़े प्रेम से उसको प्रणाम किया, अपने आसन पर बिठाया और पूछा, हे मां आप कुुछ तो लिजिए? उसने कहा बेटा मुझे प्रर्दशनी में कुछ भी अच्छा नहीं लगा, हां मुझे एक चीज अवश्य पसन्द आई है। बोलो ना माँ। वह मनपसन्द वस्तु मैं तुम्हें देकर अपना सौभाग्य समझूंगा। बेटा मुझे तो पदर्शनी लगाने वाला पसन्द आया है, सुनकर राजा गद्गद हो गया, चरणों पर गिर पड़ा और माँ ने उसे अपने ममतामयी हाथों से उठाया और अपनी छाती से लगा दिया।

धर्म प्रेमी सज्जनों भगवान् से मांगो, परन्तु और कुछ नहीं केवल चरणों दकी भक्ति मांगी। यदि भगवान् के बिना लक्ष्मी आयेगी तरो दुव्र्यसनों के सहित आयेगी, घर बरबाद हो जायेगा। लक्ष्मी का वाहन है, उल्लू और उल्लू होता है अन्धा जो सबको अन्धा बना देगा, कुसंगत में पड़ जाओगे। बुरी आदतें लग जायेगीं- शराब पीना, जुआ खेलना, कल्बों में जाना आदि। यदि परमात्मा के साथ लक्ष्मी आयेगी तो सद्बुद्धि के द्वारा लक्ष्मी का सदुपयोग होगा, अच्छे अच्छे कार्य होंगे- दान करना असहाय की सहायता करना, किसी निर्धन बच्चे को पढ़ाकर उसको पावों पर खड़े करना, मंदिर बनवाना, भूखे को रोटी-नंगे को कपड़ा आदि देना सब पुण्य के कार्य हैं, जिनसे लोक व परलोक दोनों सुधरते हैं।

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