एक व्यक्ति था। उसकी धर्मपत्नी का स्वर्गवास हो गया। बच्चों का पालन पोषण करना दूभर हो गया। किसी सन्त के पास गया और अपनी अशान्ति का कारण बताया और कहा, प्रभु कोई उपाय बताइए, मैं क्या करू? महात्मा ने एक मन्त्र दिया और कहा, इस मन्त्र की साधना से तुम्हें इस मन्त्र के प्रेत मिल जायेंगे। वह तुम्हारा हर कार्य करेंगे। मन्त्र साधना से वह प्रेत प्रकट हुआ। प्रेत ने कहा बोलो क्या चाहते हो? उसने कहा मेरे घर का कार्य करते रहो। प्रेत ने कहा जितना काम तुम बताओगे मैं उसे करूंगा, लेकिन खाली होते ही तेरे सिर पर बैठ जाऊंगा। वह तो प्रेत था। अपार शक्ति थी। मिनटों में काम कर देता था। बचारा वह घबरा गया कि इसको इतना काम कैसे दूँ? अगर नहीं दूंगा तो यह मुझे मार डालेगा।
उसी सन्त के पास आया और कहने लगा, भगवान् वह बहुत शीघ्र कर लेता है और कहता है, खाली रहने से मैं तेरे सिर पर बैठूंगा , मैं तो मुसीबत में फँस गया हूँ। कोई उपाय बताओ? सन्त ने कहा, घबराओ नहीं, उससे कहना कि आगँन में एक लम्बा बाँस गाड़ दे। जब मैं तुझे बुलाऊं तो आकर वह कार्य करना और बाकी का समय उस बांस पर उतरो और चढ़ो। उसने ऐसा किया ही किया और सुखी हो गया।
यह उदाहरण केवल समझाने के लिए होते हैं यदि समझ में आ जाए तो समझो समस्या है ही नहीं। मन भी प्रेत है इसको 24 घन्टें काम चाहिए। यदि कोई घर का कार्य हो तो उसे बाकी का समय परमात्मा के नाम जाप में लगाओ। नाम-जाप की गणना नहीं करनी, अनगिनत नाम-जाप करो।