हिसार,
कोई पैर से चल नहीं पा रहा..तो किसी का हाथ काम नहीं कर रहा..कोई सुन नहीं पा रहा तो कोई बोल नहीं पा रहा..लेकिन फिर भी वे अपने अधिकार के संघर्ष कर रहे है। हम बात कर रहे है उन दिव्यांगों की जो 6 नवंबर से अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे है। प्रशासन के अधिकारियों की गाड़ियां उनके धरने के आगे से निकलती है, लेकिन इनकी मांगों की तरफ ध्यान देने की फुर्सत किसी के पास नहीं है। प्रशासनिक अधिकारियों की गाड़ी आने पर ये दिव्यांग चिल्लाते है..नारे लगाते है..लेकिन अधिकारियों की आंखें उन्हें देख नहीं पाती और उनके कानों में इनकी आवाज पहुंच नहीं पाती।
इस सबसे खफा होकर इन दिव्यांगों ने आज भीख मांगी। भीख भी आपने लिए नहीं, बल्कि हरियाणा सरकार के लिए मांगी। भीख में मिले पैसे हिसार से भाजपा के विधायक डा. कमल गुप्ता के कार्यालय में देने गए, ताकि सरकार उन पैसों को दिव्यांगों के कल्याण में लगा सके। वहीं विधायक डा. कमल गुप्ता ने दिव्यांगों से पैसे लेने से इंकार कर दिया..इसके बाद दिव्यांगों ने उनके कार्यालय के बाहर सांकेतिक धरना दिया।
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छोटी मांग—बड़ा संघर्ष
धरना दे रहे दिव्यांगों की कोई बड़ी मांग नहीं है। इनकी मांग काफी छोटी—छोटी है, लेकिन प्रशासन इन मांगों पर भी ध्यान नहीं दे रहा, ऐसे में अपना हक लेने के लिए ये बड़ा संघर्ष कर रहे है। दिव्यांगों की मुख्य मांग में कृत्रिम अंगों का वितरण करने, ट्राई साइकिल बांटने, पढ़े—लिखे दिव्यांगो को डीसी रेट में रखे जाने वाले कर्मचारियों में आरक्षित करने, दिव्यांग कल्याण विभाग के कार्यालय को दूसरी मंजिल के स्थान पर ग्राउंड फ्लोर पर करने, दिव्यांगों का समय—समय पर स्वास्थ जांच करने व दिव्यांगों को रोजगार देना शामिल है। इनमें से सभी की सभी मांग जिलास्तर पर पूरी होने वाली है, लेकिन जिला प्रशासन को दिव्यांगों की मांग सुनने की फुर्सत तक नहीं है।
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