धर्म

ओशो : वासना दुश्मन नहीं है

हिटलर से लड़ते वक्त चर्चिल को हिटलर जैसा ही हो जाना पड़ा । इसके सिवाय कोई उपाय न था। जो धोखा—धड़ी हिटलर कर रहा था वहीं चर्चिल को करनी पड़ी। हिटलर तो हार गया, लेकिन हिटलरवाद नहीं हारा। हिटलरवाद जारी है। जो—जो हिटलरवाद से लड़े वही हिटलर जैसे हो गए। जीत गए, मगर जब तक जीते तब तक हिटलर तब तक हिटलर उनकी छाती पर सवार हो गया। नौकरी की तलाश है..3000 रुपए से लेकर 54 हजार रुपए तक मासिक तक की नौकरी यहां आपका इंतजार कर रही है, अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
जिससे तुम लड़ते हो,स्वभावत: उसके जैसा ही तुम्हें हो जाना पड़ेगा । लड़ना है, तो उसके रीति—रिवाज पहचाने होंगे, उसके दांव—पेंच सीखने होंगे। लड़ना है ढंग —ढौल पहचानने होंगे उसकी कुंजियां पकडुनी होगी। उसी समय में तो तुम उस जैसे हो जाओगे। दुश्मन बड़ा सोच कर चुनना। वासना को अगर दुश्मन बनाया तो तुम धीरे—धीरे वासना के दलदल में ही पड़ जाओगे,उसी में सड़ जाओगे। जीवन आधार नवंबर माह प्रतियोगिता.. प्ले ग्रुप से दसवीं तक विद्यार्थी और स्कूल दोनों जीतेंगे सैंकड़ों उपहार.. अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे
वासना दुश्मन नहीं है। वासना प्रभु का दान है। इससे शुरू करो। इसे स्वीकार करो। इसको अहोभाव से, आनंद—भाव से अगींकार करो। और इसको कितना सुंदर बना सकते हो, बनाओ। इससे लड़ो मत। इसको सजाओ। इसे श्रृंगार दो। इसे सुंदर बनाओ। इसको और संवेदनशील बनाओ। अभी तुम्हें स्त्री सुंंदर दिखाई पड़ती है, अपनी वासना को इतना संवेदनशील बनाओ कि स्त्री के सौंदर्य में तुम्हें एक दिन परमात्मा का सौंदर्य दिखाई पड़ जाए। अगर चांद— तारों में दिखता है तो स्त्री में दिखाई पड़ेगा पड़ना ही चाहिए। अगर चांद—तारों में है तो स्त्री में क्यों न होगा? स्त्री और पुरूष तो इस जगत की श्रेष्ठतम अभिव्यक्तियां हैं। अगर फूलों में है—गूंगे फुलों में—तो बोलते हुए मनुष्यों में न होगा? अगर पत्थर पहाड़ों में—तो चैतन्य मनुष्य में न होगा । संवेदनशील बनाओ।
वासना से भागो मत। वासना से डरो मत। वासना को निखारो, शुद्ध करोे, निखारों। वासना को प्रार्थनापूर्ण करो। वासना को ध्यान बनाओ। और धीरे—धीरे तुम चमत्कृत हो जाओगे कि वासना ही तुम्हें वहां ले आयी, जहां तुम जाना चाहते थे वासना से लड़ कर और नहीं जा सकते थे।
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