लखनऊ (राज भारती) / टोहाना (नवल सिंह)
वर्चुअल करंसी बिटकॉइन के नाम पर लाखों की ठगी करने वाले एक युवक को एसटीएफ ने लखनऊ से गिरफ्तार किया है। युवक बिटकॉइन के नाम पर ठगी करने वाले गैंग का सक्रिय सदस्य है। इस गैंग के तार इलाहाबाद, लखनऊ से लेकर पुणे तक फैले हुए हैं।
एसएसपी एसटीएफ अभिषेक सिंह के मुताबिक ठगी करने वाले की शिनाख्त इलाहाबाद के धूमनगंज निवासी मोहम्मद अजहद उर्फ अशरफ के रूप में हुई है। अजहद कम पढ़ा लिखा हुआ होने के बाद भी तकनीकी रूप से काफी जानकार है। इसके चलते ही वह ठगी करने वाले इस गिरोह के संपर्क में आया। जानकारी के मुताबिक एसटीएफ के साइबर थाने में बुधवार को हरियाणा के फतेहाबाद के टोहना निवासी पंकज गर्ग ने बिटकॉइन के नाम पर 50 हजार रुपये की ठगी होने की शिकायत की थी। इसकी पड़ताल के दौरान ही एसटीएफ को अजहद के बारे में जानकारी मिली। अजहद गुरुवार को लखनऊ में मौजूद था। एसटीएफ ने उसे चारबाग से गिरफ्तार कर लिया।
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सही खाता खोलकर फर्जी खातों में डलवाते थे रकम
अजहद और उसके साथी बिटकॉइन के नाम पर पहला खाता सही खोलते थे। इसके बाद जैसे ही लोग उनके संपर्क में आ जाते तो वह पहला ट्रांजेक्शन असली खाते में करवाते थे और बाकी रकम फर्जी नाम पते पर खोले गए खातों में ट्रांसफर करवाई जाती थी। इस बात का पता लगाया जा रहा है कि अजहद ने पंकज के अलावा और कितने लोगों से बिटकॉइन के नाम पर ठगी की है। अजहद के गैंग में इलाहाबाद और पुणे के कुछ छात्र शामिल हैं।
एसटीएफ इनकी तलाश कर रही है।
क्या है बिटकॉइन और कैसे होता है इस्तेमाल
बिटकॉइन एक नई इनोवेटिव डिजिटल टेक्नॉलजी या वर्चुअल करंसी है। इसको 2008-2009 में सतोषी नाकामोतो नामक एक सॉफ्टवेयर डेवलपर प्रचलन में लाया था। कम्प्यूटर नेटवर्कों के जरिए इस मुद्रा से बिना किसी मध्यस्थता के ट्रांजेक्शन किया जा सकता है। वहीं, इस डिजिटल करंसी को डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है। बिटकॉइन को क्रिप्टोकरेंसी भी कहा जाता है। जबकि जटिल कम्प्यूटर एल्गोरिदम्स और कम्प्यूटर पावर से इस मुद्रा का निर्माण किया जाता है जिसे माइनिंग कहते हैं। जिस तरह रुपये, डॉलर और यूरो खरीदे जाते हैं, उसी तरह बिटकॉइन की भी खरीद होती है। ऑनलाइन भुगतान के अलावा इसको पारंपरिक मुद्राओं में भी बदला जाता है। बिटकॉइन की खरीद-बिक्री के लिए एक्सचेंज भी हैं, लेकिन उसका कोई औपचारिक रूप नहीं है। जबकि गोल्डमैन साक्स और न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज तक ने इसे बेहद तेज और कुशल तकनीक कहकर इसकी तारीफ की है, इसलिए दुनियाभर के बिजनेसमैन और कई कंपनियां फाइनैंशियल ट्रांजेक्शन के लिए इसका इस्तेमाल खूब कर रहे हैं।
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इसके जरिए ट्रांजेक्शन करना है आसान
दरअसल बिटकॉइन का संचालन कम्प्यूटरों के डिसेंट्रलाइज्ड नेटवर्क से किया जाता है। जहां पर ट्रांजेक्शन करने वालों की व्यक्तिगत जानकारियों की जरूरत नहीं होती है। जबकि क्रेडिट कार्ड, या बैंक ट्रांजेक्शन के विपरीत इससे होने वाले ट्रांजेक्शन को वापस नहीं लिया जा सकता है। कहने का मतलब है कि यह वन वे ट्रैफिक होता है। वहीं, क्रेडिट कार्ड, बैंक ट्रांसफर आदि में पैसे जहां भेजे जाते हैं, उनका आसानी से पता लगाया जा सकता है, लेकिन इसमें ऐसा संभव नहीं है, क्योंकि ट्रांजेक्शन करने वालों की व्यक्तिगत जानकारियां यहां नहीं होती हैं।
टैक्स चोरी और हवाला में बिटकॉइन का इस्तेमाल
जिस तरह से बिटकॉइन का इस्तेमाल कारोबार के लिए बिजनेसमैन कर रहे हैं। इसका दुरुपयोग भी उसी हिसाब से बढ़ता जा रहा है। क्योंकि, इसके जरिए होने वाले लेन-देन में गड़बड़ी की जिम्मेदारी किसी की नहीं होती है। जबकि ड्रग्स की खरीद-बिक्री, हवाला, आतंकी गतिविधियों को वित्तीय मदद, टैक्स की चोरी आदि में इसके बढ़ते इस्तेमाल ने दुनियाभर की सुरक्षा एजेंसियों और फाइनैंशियल रेग्युलेटर्स की नींद उड़ा दी है। वहीं यह टेक्नोलॉजी अब कंपनियों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बनती जा रही है। इसके जरिए बढ़ रही फिरौती की घटनाओं ने विभिन्न देशों की फाइनैंशियल कंपनियों, ब्रॉकरेज फर्म और पुलिस महकमे तक को हिलाकर रख दिया है।
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आरबीआई की तरफ से मान्य नहीं है बिटकॉइन
देश में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बिटकॉइन को लीगल टेंडर के रूप में अधिकृत नहीं किया है। बिटकॉइन व इस जैसी अन्य वर्चुअल करंसी के कई एक्सचेंज बने हुए हैं। जिनके जरिए लोग आपस में एक दूसरे से बिटकॉइन की खरीद फरोख्त करते हैं। इसकी आड़ में देशभर में फर्जी आईडी पर कई एक्सचेंज चल रहे हैं।
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