हिसार

16 साल बाद मय्यड़ में एक बार फिर जुटेंगे देशभर से साधक

हिसार,
यज्ञ समाजवाद का सबसे प्राचीन भारतीय स्वरुप है। इससे दैविक लाभ तो होता ही है, उसमें जो धन लगता है, वह खर्च भले एक या दो लोग करे, पर उससे हजारों लोगो को रोजगार प्रत्यक्ष मिलता है। वहीं दिनों दिन बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए यज्ञ अहम भूमिका निभाते हैं। यह बात स्वामी सहजानंद ने कहीं। वे मंगलवार को यहां एक निजी संस्थान में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। नौकरी की तलाश है..तो यहां क्लिक करे।
उन्होंने कहा कि सिद्ध महामृत्युंजय अंतर राष्ट्रीय योग एवं ज्योतिष अनुसंधान केंद्र मय्यड़ की ओर से महाशिवरात्रि के अवसर पर 4 से 13 फरवरी तक विश्वकल्याणार्थ श्री महामृत्युंजय अतिरुद्र महायज्ञ का विशाल आयोजन किया जाएगा। इस महामृत्युंजय अतिरुद्र महायज्ञ का आयोजन 16 साल बाद किया जा रहा है, जिसमें देशभर से लोग शिरकत करेंगे। इस यज्ञ में पांच टन औषधीय हवन सामग्री से आहूतियां दी जाएगी। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार सूर्य की किरणों से सूखा जल वापस बरसात द्वारा हमें प्राप्त हो जाता है, सरकार द्वारा संग्रहित कर टैक्स जनता की भलाई के ही काम आता है, वैसे ही यज्ञ मे दी गई औषधीय आहुतियां भी हमारे लिए कल्याण कारक बनती है। उन्होंने कहा कि यह महायज्ञ समाज के कल्याण के लिए दैविक, दैहिक और भौतिक तीनों प्रकार के संकटों से मुक्ति दिलाने के लिए किया जा रहा है, क्योंकि हमारे शास्त्रों में दुख—संकट दूर करने के लिए जितने भी उपाए बताए गए है उनमें यज्ञ का स्थान सर्वश्रेष्ठ है। विधि सम्मत तरीके से किए इस महायज्ञ से हमें न केवल मन वांछित फल प्राप्त होगा,साथ ही पर्यावरण भी शुद्ध होगा। जीवन आधार प्रतियोगिता में भाग ले और जीते नकद उपहार

स्वामी सहजानंद ने कहा कि सर्वप्रथम यह अतिरुद्र महायज्ञ भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि की उत्पत्ति के लिए किया था। जिसके बाद ऋषि—मुनियों ने समय—समय पर यह यज्ञ किया। इस महायज्ञ में शास्त्रीय वैदिक विधि से भगवान भोले नाथ को प्रसन्न करने के लिए विभिन्न औषधियों की आहुति यज्ञ के माध्यम से भगवान रुद्र को समर्पित की जाएंगी। जिसकी जन्मकुंडली में कालसर्प दोष हो या अन्य कोई ग्रह दोष हो, व्यापार मे बाधाऐं आ रही हो, स्वास्थ्य खराब रहता हो, ऐसे लोग अवश्य इस महायज्ञ में भाग लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस अतिरुद्र महायज्ञ में यज्ञ की तीनों विधियों का प्रयोग होगा, जिसमें रुद्राष्टाध्यायी के 1331 पाठ भी होगें। वहीं प्रतिदिनभिषेक होगा। उन्होंने कहा कि रुद्र सभी देवताओं का सामूहिक स्वरूप है अर्थात रुद्र की साधना से सभी देवों की पूजा हो जाती है। यज्ञ में हम जो आहूतियां देते हैं उससे देवता पुष्ट होते हैं और हमारा सर्वाधिक कल्याण करते है। उन्होंने कहा कि देश मे छाई अशांति, वैमनस्य को दूर करने और भारत को वैभवशाली बनाने के लिए यज्ञ से बढक़र कोई उपाय नहीं है। जीवन आधार न्यूज पोर्टल के पत्रकार बनो और आकर्षक वेतन व अन्य सुविधा के हकदार बनो..ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
जब देवताओं पर भी संकट आया तो उन्होंने भी यज्ञ के माध्यम से ही भगवान को प्रसन्न कर संकटों से मुक्ति पाई है। रुद्रयग्य से भगवान की भक्ति, शांति, पुत्र पौत्र की प्राप्ति, धन—धान्य की संपन्नता, सुन्दर स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि इस महायज्ञ में देशभर से विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि, सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं के गणमान्य व्यक्तियों के साथ—साथ साध संगत शिरकत करेंगे।
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