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EVM पर सुप्रीम कोर्ट पहुंची कांग्रेस, VVPAT के 25% पर्चियों की वोटों से मिलान की मांग

नई दिल्ली,
गुजरात विधानसभा चुनाव में मतगणना से पहले कांग्रेस ने बड़ा कदम उठाया है। गुजरात कांग्रेस सचिव ने सुप्रीम कोर्ट में वीवीपैट की 25 प्रतिशत पर्चियों के वोटों से मिलान के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। इस बारे में शीर्ष कोर्ट से चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई है।
मामले में सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा। कांग्रेस की ओर से कपिल सिब्बल, अभिषेक सिंघवी कोर्ट में पक्ष रखेंगे। गौर करने वाली बात है कि गुजरात चुनाव के पहले और दूसरे चरण में कई जगहों पर ईवीएम में खराबी की खबरें आई थी। इसके साथ ही विपक्ष लगातार इस बात को उठाता रहा है कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ हो रही है और ईवीएम को हैक नतीजों को प्रभावित किया जा रहा है।
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बसपा सुप्रीमो मायावती, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव जैसे नेता ईवीएम के खिलाफ आवाज उठा चुके हैं। ईवीएम के वोटों और वीवीपैट की पर्चियों के मिलान को लेकर कांग्रेस पार्टी की मांग हाल के दौरान ईवीएम के खिलाफ बड़ी मांग है।
इसके अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राज्य निर्वाचन आयोग से आग्रह किया था कि नगर निगम का चुनाव ईवीएम के बदले बैलट पेपर से कराए जाएं। कांग्रेस से पहले किसी राजनीतिक पार्टी ने अभी तक पर्चियों के मिलान की इस तरह की कोई मांग नहीं की थी।
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गुजरात में पहले चरण की वोटिंग के दौरान भी कांग्रेस की ओर से उसके नेता अर्जुन मोढवाडिया ने दावा किया था कि पोरबंदर के मुस्लिम बहुल इलाके मेमनवाड़ा के तीन मतदान केंद्रों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें ब्लूटूथ के जरिए बाहरी उपकरणों से जुड़ी हुई हैं।
हालांकि मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) बीबी स्वाइन ने हालांकि कांग्रेस की इस शिकायत को ये कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि एक मतदान एजेंट के पास मोबाइल फोन था जिस पर ‘ईसीओ 105’ मॉडल नंबर के तौर पर अंकित था, इसमें शिकायतकर्ता ने ईसी को चुनाव आयोग समझ लिया।

गुजरात चुनाव में बदली गईं कई मशीनें

निर्वाचन आयोग को मिली शिकायत में राजकोट पूर्व निर्वाचन क्षेत्र में भी ईवीएम मशीनों के साथ छेड़छाड़ होने की बात कही गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गुजरात के प्रभारी अशोक गहलोत ने भी ईवीएम में आ रही गड़बड़ी के मामलों के बाद बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की है। कांग्रेस नेता संजय निरूपम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अबदुल्ला ने भी ट्वीट कर EVM में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया।

लालू ने उठाए सवाल

कांग्रेस ही नहीं बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव ने भी इस पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने ट्वीट किया, ईवीएम को लेकर बार-बार क्यों सवाल उठ रहे हैं, EC इसके लिए क्या दूरगामी हल निकाल रहा है, बीजेपी को ही इससे फायदा क्यों हो रहा है, कौन जवाब देगा।
कांग्रेस ने इलेक्शन कमीशन पर भी साधा निशाना
कांग्रेस ने खराब ईवीएम मशीनों को लेकर इलेक्शन कमीशन पर निशाना साधा। कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी और गुजरात के प्रभारी अशोक गहलोत ने आजतक से खास बातचीत में कहा, कि जगह-जगह ईवीएम मशीन के खराब होने की बात हम तक आ रही है। हमने इलेक्शन कमीशन से शिकायत भी की थी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की बुनियाद ही देश के चुनाव हैं। जनता ही माई-बाप है और वही तय करती है कि कौन जीतेगा।
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अशोक गहलोत ने कहा कि उस माई-बाप को तो कम से कम विश्वास दिलवाएं कि वह जिसको चाहता है, उसी के लिए मशीन के अंदर वोट पड़े। अगर चुनावों ही उसके साथ धोखाधड़ी होती है, तो लोकतंत्र की नींव कमजोर होती है। पूरे देश में पता नहीं क्यों एक आशंका पैदा हो गई है कि ईवीएम मशीनों में कुछ गड़बड़ की जा सकती है।

फिर से बैलेट के जरिए हो चुनाव

उन्होंने कहा कि यह केस सुप्रीम कोर्ट तक गया। सुप्रीम कोर्ट को भी आशंका थी इसलिए उन्होंने चुनाव आयोग से VVPAT को यूज करने के लिए कहा। अगर आशंका नहीं होती तो VVPAT क्यों शुरू किया था लेकिन VVPAT आने के बाद भी लोगों को आशंका है। मेरा तो मानना है कि बैलेट सिस्टम पर फिर से वापस जाना चाहिए।

उनका कहना है कि चुनाव आयोग सभी बड़ी पार्टियों को बुला कर बात करे। उन्होंने बैलेट पेपर के बारे में बात करते हुए कहा कि मेरा ऐसा मानना है कि अगर दुनिया के बड़े देश फिर से बैलेट पेपर पर आ गए हैं तो हम क्यों नहीं आ सकते।

केजरीवाल और अखिलेश ने भी घेरा

यूपी प्रदेश और पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान भी विपक्षी दलों ने बड़े पैमाने पर ईवीएम में गड़बड़ी और छेड़छाड़ का मुद्दा उठाया था। यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव और बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने बीजेपी पर ईवीएम में छेड़छाड़ कर चुनाव जीतने का आरोप लगाया था।

इसके बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की थी। हालांकि सत्ताधारी बीजेपी विपक्ष के सवालों को नकारते हुए इसे विपक्षा पार्टियों की हार की हताशा बताती आई है।
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