धर्म

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—79

एक दिन नारदजी भगवान् श्रीकृष्ण के पास आए। भगवान् ने प्रणाम किया,आदर सत्कार किया,आसन पर विराजित होने के बाद नारदजी ने भगवान को बताया भगवन्। भौमासुर नामक राक्षस ने हजारों राजाओं को मार करके, उनकी सोलह हजार एक सौ कन्याओं को उठाकर ले गया और कारावास में बन्दी कर रखा है और शादी करने के लिए अनेक प्रकार की यातनाएं दे रहा है।

वे कन्याएं किसी भी प्रकार से सहमत नहीं है,अत: हे कृष्ण! आज तक संसार में जिनका भी अवतार हुआ है,उन्होंने धर्म की रक्षा की है,अर्धम का नाश किया है भक्तों का उद्धार किया है,तथा पापी का संहार किया है। सभी ने विश्व के कल्याण हेतु अपने जीवन को समर्पित किया है। हे श्याम यह संसारिक ऐश्वर्य तो साधारण लोगों के लिए है आप जैसे महान् अवतारी पुरूषों के लिए तो दुखियों का दुख निवारण हेतु अपना जीवन लगा देना ही श्रेयस्कर है। अत: हे घनश्याम उन सोलह हजार एक सौ कन्याओं को उस पापी के हाथ से मुक्त कराईयें।

उस दुष्ट को उसके दुष्ट कार्यो का दण्ड़ दिजिए। सुनते ही श्रीकृष्ण दौड़े,भौमासुर की नगरी पर चढ़ाई की और उस राक्षस को मारकर सभी कन्याओं को जेल के बन्धन से छुड़वाया और अपने अपने घर जाने के लिए कहा। सभी कन्याएं भगवन श्रीकृष्ण के चरणों में गिर पड़ी और निवेदन करने लगी, हे नाथ! आपने हमको इस जेल से तो मुक्त करा दिया,लेकिन आप हमें छोडक़र कहाँ जा रहे है?

हम आपको छोड़कर नहीं जायेंगे,प्रभु। आपको हमारा कल्याण करना होगा, आप कल्याणकारी कहलाते हैं। आप मुक्ति प्रदाता हैं। अत: हम आपसे अनुरोध करती है कि इस अवस्था में न तो हमें घर वाले अपने घर में रहने देंगे और न कोई नवयुवक हमारे से शादी-विवाह करने को सहमत होगा। अब आप ही बताएँ,करूणा-सागर। इस स्थिति में कहाँ जाए और क्य करे?

श्रीकृष्ण ने घोषणा करवाई कि जो नवयुवक इन कन्याओं से शास्त्र विधि-विधान से विवाह करना चाहता हो आगे आए,लेकिन एक भी युवक आगे नहीं आया। कन्याए श्रीकृष्ण से प्रार्थना कर रही है,हे नाथ आप हमें छोडक़र अनाथ न बनाओ। यदि आपने हमें नहीं अपनाया तो समाज हमें इज्जत से नहीं जीने देगा,मजबूरन हमें नरकगामी बना देगा,अत: हे स्वामी आप हमें अपने चरणों में जगह दीजिए तथा हमारा कल्याण कीजिए।

द्वाराकापुरी में हम सब सेवा कार्य करके अपना जीवन यापन कर लेंगी। नित्य प्रतिदिन आपके दर्शनों से हमारा जीवन प्रतिदिन धन्य हो जायेगा।
भगवान् श्रीकृष्ण ने समाज का रूख देखने के बाद यह निर्णय लिया और कहा,हे पवित्र देवियों, मैं तुम्हें द्वाराकापुरी की दासी बनाकर नहीं अपितु रानियां बनाकर ले जाऊंगा। विश्व के इतिहास में नारी-कल्याण का कार्य केवल भगवान् श्रीकृष्ण ने ही किया है।

समाज के तिरष्कृत और घृणित नारियों को उन्होंने अपनी शरण में ले लिया,सन्मार्ग पर लगाया, अपने पवित्र चरणों की भक्ति देकर उत्थान किया। ऐसी अनाथ अबला और असहाय नारियों को अपनी सुरक्षा में रखा। आज दहेज के लोभी अपने पुत्र की शादी तय करने से पहले पूछता है दहेज कितना देगा? भिखारियों की तरह से दहेज मांगता है। सज्जनों जरा विचार कीजिए क्या एक दुल्हन एक सबसे सुन्दर और सबसे मूल्यवान दहेज नहीं है? उसको रूपये से मत तोलो।

यदि कन्या सुयोग्य नहीं है तो तुम्हारा जीना दूभर हो जाएगा,दिया हुआ दहेज या रूपया पैसा सब तो चला जायेगा, इसलिए शादी-विवाह के समय, धन-माल की अपेक्षा कन्या के गुण-राशि धन पर अधिक महत्व दो। भगवान् श्रीकृष्ण को उदाहरणार्थ हमेशा याद रखो। यह है कृष्ण का नारी उत्थान और नारी-कल्याण का महान् कार्य।

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