धर्म

ओशो : सर्दी की सबसे सस्ती तरकीब

लोगों ने सस्ती तरकीबें सदा खोज ली हैं। इस सर्दी की सबसे सस्ती तरकीब यह है कि साधना से क्या होगा? उपाय से क्या होगा? कोई जरूरत नहीं है। आध्यात्मिक विकास भी है आध्यात्मिक विकास के अतिरिक्त? जीवन आधार प्रतियोगिता में भाग ले और जीते नकद उपहार
और फिर ऐसे लोग जो कहते हैं,बड़ा मजा यह है कि सुनने वाले इन सब बातों को कैसे सुनते रहते हैं। सुनना ही चाहते होंगे। जरा भी बुद्धि हो, जरा भी विश£ेषण करें,तो कहना चाहिये:फिर तुम मेहनत किसलिए कर रहे हो? हे उधार गुरू,कृष्णमुर्ति मेहनत क्यों कर रहे हों? किसलिए सिर पचा रहे हो? सब भ्रम है:और तुम्हारा आध्यात्मिक विकास भ्रम नहीं है? तुम्हारा दावा भ्रम नहीं है कि तुम सिद्ध हो गए?
इन थोथी बातों में मत पडऩा। ऐसे थोथे जाल सदा से रहे हैं और सदा रहेंगे। आदमी की मांग है,इसलिए इनकी पूर्ति होती रहती है।
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इसके पहले कि इस प्रश्र का उत्तर मैं पूरा करूं,चित्त की आठ अवस्थाएं हैं,वे समझ लेनी जरूरी हैं। बुद्ध ने चित्त की आठ अवस्थाओं की बात की हैं। वह बड़ी उपयोगी है। पांच चित्त की अवस्थाएं,पांच इन्द्रियों से बंधी हैं। बुद्ध ने कहा-एक -एक इंद्रिय एक-एक मन है। और यह बात सच हैं। यह मनोविज्ञान भी इस बात के समर्थन में है। तुम्हारी जीभ का एक मन हैं,लेकिन वह मन केवल स्वाद की भाषा समझता है। तुम्हारे कान का भी एक मन हैं,लेकिन वह मन केवल ध्वनि की भाषा समझता है। तुम्हारा कान भी चुनाव करता है। सभी ध्वनियां नहीं लेता भीतर। सिर्फ दो प्रतिशत भीतर लेता हैं ,अट्ठावने प्रतिशत बाहर छोड़ देता है। अगर सारी ध्वनियों को भीतर ले ले तो तुम विक्षिप्त हो जाओ। जीवन आधार न्यूज पोर्टल के पत्रकार बनो और आकर्षक वेतन व अन्य सुविधा के हकदार बनो..ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।

तुम्हारी आंखे भी सब नहीं देखतीं है। सब को देखने लगे तो तुम मुश्किल में पड़ जाओ। चुनाव करती है। वही देखती हैं जो देखने योग्य हैं। वही देखती हैं,जिसमें कोई प्रयोजन नहीं है।
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