धर्म

ओशो : मौत की हार

जीवन आधार प्रतियोगिता में भाग ले और जीते नकद उपहार

नौकरी की तलाश है..तो यहां क्लिक करे।

जीवन आधार न्यूज पोर्टल में पत्रकार बने .. 72 हजार रुपए से 3 लाख रुपए का वार्षिक पैकेज व अन्य सुविधाएं ले..ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।

मैंने सुना है एक अंग्रेज राजनितिज्ञ दूसरे महायुद्ध के पहले हिटलर से मिलने गया । तीसरी मंजिल पर हिटलर का दफ्तर था, वहां खड़े होकर दोनों बाते कर रहे थे, हिटलर ने अपना रोब दिखाने के लिए और अंग्रेज राजनितिज्ञ को घबड़ाने के लिए कहा कि तुम्हें पता नहीं, तुम किससे झंझट ले रहे हो, दो दिन में घुटने टिक जायेंगे तुम्हारे। ऐसा कह कर उसने पीछे की तरफ देखा। डे्रमेटिक आदमी था। थोड़ा नाटकीय ढंग का आदमी था। पीछे का उसका बाडीगार्ड खड़ा है। उसने उसको आज्ञा दी कि इसी समय कूद जा छत से। हेल हिटलर कह कर वह बाडीगार्ड उस छत से कूद गया। नीचे जाकर पत्थर पर बिखर गयी उसकी हड्डी,मांस-मज्जा। अंग्रेज राजनितिज्ञ थोड़ा घबड़ा गया कि यह क्या किया। इसकी क्या जरूरत थी?
और तभी हिटलर ने और रोब बांधने के लिए दूसरे बाडीगार्ड को कहा, तू भी कूद जा। वह भी कूद गया। अंग्रेज राजनितिज्ञ को तो पसीना आ गया कि ऐसे आदमियों से उलझना जरूर खतरनाक है, जब इस तरह मरने को लोग तत्पर हैं। और तभी हिटलर ने तीसरे को कहा: अंग्रेज राजनितज्ञ ने तब तक भाग कर उस तीसरे का हाथ पकड़ लिया। कहा:भाई ,इतनी मरने की जल्दी क्या? उसने कहा:हिटलर के राज में जीने से मरना बेहतर। जीने में क्या रखा है?
यहां लोग मरने को तत्पर बैंठे हैं,कोई बहाना मिल जाये। हिन्दू धर्म खतरे में है, मुसलमान धर्म खतरे में हैं कि भारत-पाकिस्तान का झगड़ा,कि चीन-भारत का झगड़ा-कोई बहाना मिल जाये, चले। जिंदगी में कुछ नहीं- कोरी-कोरी है। ऐसे ही ऊबे हुए हैं लोग। क्षुद्र गंवाने को तैयार हैं- एक ही कारण है,इन्हें संपदा का पता नहीं। और जिसे इन्होंने संपदा समझ रखा है वह केवल भं्राति हैं-उससे कुछ मिलता नहीं।
विपत्ति आती है तुम्हारी संपत्ति से। तुम्हारी संपदा विपदा बन जाती है, और क्या?
और फिर बहुत पछताओगे,जब यह बूंद के ऊपर खड़ा हुआ महल,सपने जैसा महल सब गिर जायेगा। गिरेगा ही। मौत क्या करती है? मौत तुमसे वह नहीं छीनती जो तुम हो। वह तो छीना ही नहीं जा सकता। उसे कौन छीनेगा जो तुम हो? वह तो शाश्वत है। मौत तुमसे वही छीनती है तो तुम नहीं हो। जो भ्रांतियां तुमने खड़ी कर रखी थीं,मौंत उन्हीं को छीन सकती है। जो जादू तुमने अपने आसपास बना रखा था, जो भ्रांतियां तुमने आरोपित और पोषित कर रखी थीं- मौत उन्हीं को छीनती है।
मौत तुम्हारा अंहकार छीनेगी,तुम्हारी आत्मा नहीं। मौत तुम्हारी देह छीनेगी, तुम्हारा देह में बसे हुए को नहीं। मौत तुम्हारी पद-प्रतिष्ठा छीनेगी,तुम्हें नहीं। मौत तुम्हारी धन दौलत छीन लेगी,तुम्हें नहीं। मौत तुम्हारा मेरा-तेरा छीन लेगी,तुम्हें नहीं। पछताओगे बहुत जब मौत आकर सब कुछ छीनने लेगेगी और एक-एक भव गिरेने लगेगा-जिस पर तुमने जीवन लगा दिया था,जिस पर तुमने सब गंवाया था- तब तुम बहुत पछताओगे। लेकिन तब बहुत देर हो गई होगी। जो पहले ही जाग जाता है,वह भ्रांतियां नहीं खड़ी करता। जो भ्रांतियां खड़ी नहीं करता,उसके पास कुछ होता ही नहीं जिसको मौत छीन ले। उसी आदमी को हम ज्ञानी कहते हैं जिसके पास ऐसा कुछ है जो मौत नहीं छीन सकती।

Related posts

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से-542

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—161

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से— 581