धर्म

ओशो : परमात्मा की झलक

कल ही एक युवती पूछ रही थी मुझसे कि बड़ी मुश्किल हो गयी है। संन्यस्त हुई योरूप में आई ध्यान में डूबों और रस-मग्र है। और जैसा कभी नहीं हुआ था वैसा कुछ हुआ है। स्वाभाविक भाव उठता है कि उसका पति भी इस रस में डूब जाये,उसके बच्चे भी डूब जायें। पति को लिखा होगा। पति ने समझा कि पागल हो गयी। पति को समझ में ही नहीं आया कि गौरिक वस्त्र का क्या मतलब नये नाम का क्या मतलब। पति ने क्रोध में पत्र लिखा है कि मैं इस झंझट में नहीं पडऩा चाहता और मैं भूलकर भी तुझे कभी मेरे नये नाम से नहीं पुकारूंगा। तेरा पुराना नाम ही मेरे लिये रहेगा। और मैं तुझे सन्यासी मानने को भी तैयार नहीं हूं। मेरे लिये तो तू जैसी थी वैसी ही है। नौकरी की तलाश है..तो जीवन आधार बिजनेस प्रबंध बने और 3300 रुपए से लेकर 70 हजार 900 रुपए मासिक की नौकरी पाए..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
वह कल महिला रोती थी कि मैं तो सोचती थी कि उन्हें भी ले आऊंगी आपके पास तक, मगर यह तो मुश्किल हो गयी। मैंने उससे कहा: तू चिंता न ले। और कन्वर्शन की, किसी को बदलने की कभी आकांक्षा मत करना। जाना लौट कर, जितना, आंनद दे सके देना, जितना प्रेम दे सके देना। इतना प्रेम देना कि पति ने कभी जाना ही न हो। घर में एक नयी सुंगध और एक नये गीत का वातावरण बनाना। मगर भूलकर मेरी चर्चा मत करना। संन्यास की बात मत उठाना। ध्यान की बात मत करना। ध्यान करना,ध्यान की तरंगे पैदा करना घर में। लेकिन पति को ध्यान के संबंध में समझाना मत,नहीं तो पुरूष के अंहकार की बड़ी जकड़ होती है। जब तक पति स्वयं न पूछने लगे कि तुझे क्या हो गया है, जब तक पति को यह आकांक्षा पैदा न हो जाये कि तुझे कुछ हुआ है, जो मुझे भी होना चाहिए-तब तक चुप रहना।
स्वाभाविक है कि जिसे हम प्रेम करते हैं उसको भी हम उसकी तरफ ले जायें,जहां से हमें परमात्मा की झलक मिलनी शुरू हुई हो।
जीवन आधार बिजनेस सुपर धमाका…बिना लागत के 15 लाख 82 हजार रुपए का बिजनेस करने का मौका….जानने के लिए यहां क्लिक करे

Related posts

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—115

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों में से-4

Jeewan Aadhar Editor Desk

स्वामी राजदास : ड़र

Jeewan Aadhar Editor Desk