धर्म

स्वामी राजदास : सहनशीलता

जीवन आधार पत्रिका यानि एक जगह सभी जानकारी..व्यक्तिगत विकास के साथ—साथ पारिवारिक सुरक्षा गारंटी और मासिक आमदनी भी..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।

जीवन आधार जनवरी माह की प्रतियोगिता में भाग ले…विद्यार्थी और स्कूल दोनों जीत सकते है हर माह नकद उपहार के साथ—साथ अन्य कई आकर्षक उपहार..अधिक जानकारी के लिए यहां क्ल्कि करे।

नौकरी की तलाश है..तो जीवन आधार बिजनेस प्रबंधक बने और 3300 रुपए से लेकर 70 हजार 900 रुपए मासिक की नौकरी पाए..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।
महात्मा सरयूदास का जन्म गुजरात के पारडी नामक गांव में हुआ था। उनका बचपन का नाम ‘भोगीलाल’ था। बचपन में उन्हें अपने पड़ोसी ‘बजा भगत’ का सत्संग मिला। सरयूदास जी की शिक्षा-दीक्षा बहुत थोड़ी थी। वह अपने मामा के ही घर पर रहकर उनका व्यापार संभालते थे। कुछ दिनों के बाद सरयूदास का विवाह हो गया, पर उनकी पत्नी अधिक दिनों तक जीवित नहीं रह सकीं। एक बार की बात है, सरयूदास रेलगाड़ी से कहीं जा रहे थे। गाड़ी में भारी भीड़ थी। कहीं तिल रखने की जगह नहीं थी।
किसी तरह से संतजी को गाड़ी में बैठने की जगह मिल गई। गाड़ी में संतजी के पास ही एक मजबूत कद काठी का व्यक्ति बैठा था। वह बार-बार संत की ओर पैर बढ़ाकर उन्हें ठोकर मार देता था। संत सरयूदास ने बड़े दयाभाव से कहा, ‘भाई संकोच मत करना। लगता है तुम्हारे पैर में कहीं पीड़ा है जिसे दिखाने को तुम बार-बार पैर मेरी ओर बढ़ाते हो, फिर वापस खींच लेते हो। मुझे सेवा का मौका दो। मैं भी तुम्हारा अपना ही हूं।’ यह कहते हुए संत ने व्यक्ति के पैर उठाकर अपनी गोद में रख लिए और उसे सहलाने लगे। संत के ऐसा करने पर यात्री शर्मिंदा हुआ और क्षमा याचना करते हुए कहने लगा, ‘महाराज मेरा अपराध क्षमा करें। आप महात्मा हैं। सहृदय हैं। यह मुझे अब अहसास हुआ है।’
पत्रकारिकता के क्षेत्र में है तो जीवन आधार न्यूज पोर्टल के साथ जुड़े और 72 हजार रुपए से लेकर 3 लाख रुपए वार्षिक पैकेज के साथ अन्य बेहतरीन स्कीम का लाभ उठाए..अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करे।

सहनशीलता ऐसा गुण है, जिसे हमें अपने अंदर विकसित करना चाहिए। व्यक्ति का सहनशील होना ही उसे इस दुनिया में आगे ले जाता है। हृदय की विशालता का मूल्यांकन बाहरी वैभव से नहीं किया जा सकता। हृदय में स्थान हो तो छोटी कुटिया में भी स्थान बन जाना मुश्किल नहीं है। हृदय में सहृदयता, संतोष है तो इंसान कुटिया में भी सुखी रहता है और असंतोष है तो ऐसा जीव महलों में भी सुखी नहीं है।
जीवन आधार बिजनेस सुपर धमाका…बिना लागत के 15 लाख 82 हजार रुपए का बिजनेस करने का मौका….जानने के लिए यहां क्लिक करे

Related posts

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—232

ओशो : का सोवे दिन रैन-229

Jeewan Aadhar Editor Desk

परमहंस संत शिरोमणि स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—172