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सत्यार्थप्रकाश के अंश-38

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सूर्य आकार वाला,जल कूण्डे भी आकार वाले हैं। सूर्य जलकूण्डे से भिन्न और सूर्य से जल कूण्डे भिन्न है तभी प्रतिबिम्ब पड़ता है। यदि निराकार होते तो उन का प्रतिबिम्ब कभी न होता। और जैसे परमेश्वर निराकार,सर्वत्र आकाशवत् व्यापक होने से ब्रह्म से कोई पदार्थ वा पदार्थो से ब्रह्म पृथक नहीं हो सकता और व्याप्यव्यापक भाव सम्बन्ध कभी नहीं घट सकता। सो बृहदारण्दक के अन्तयार्मी ब्रह्मण में स्पष्ट लिखा है और ब्रह्म का आभास भी नहीं पड़ सकता क्योंकि बिना आकार के आभास का होना असम्भव है। जो अन्त:करण चलायमान,खण्ड-खण्ड और ब्रह्म अचल अखण्ड है। यदि तुम ब्रह्म और जीव का पृथक-पृथक न मानोगे तो इसका उत्तर दिजिये कि जहां-जहां अन्तकरण चला जायेगा वहां वहां के ब्रह्म केा अज्ञानी और जिस-जिस देश को छोड़ेगा वहां-वहां के ब्रह्म को ज्ञानी कर देवेगा वा नहीं? जैसे छाता प्रकाश के बीच में जहां -जहां जाता है वहां -वहां के प्रकाश को आवरणयुक्त और जहां-जहां से हटाता है वहां-वहां के प्रकाश को आवरणहित कर देता है। वैसे ही अन्त:करण ब्रह्म को क्षण-क्षण में ज्ञानी,अज्ञानी ,बुद्ध और मुक्त कराता जायेगा। अखण्ड ब्रह्म के एक देश में आवरणरहित कर देता है। वैसे ही अन्त:करण ब्रह्म क्षण-क्षण में ज्ञानी-अज्ञानी ,बुद्ध और मुक्त कराता जायगा। अखण्ड ब्रह्म के एक देश में आवरण का प्रभाव सर्वदश में होने से सब ब्रह्म के एक देश में आवरण का प्रभाव सर्वदेश में होने से सब ब्रह्म अज्ञानी हो जायेगा क्योंकि वह चेतन है। और मथुरा में जिस अन्त:करणस्थ ब्रह्म अज्ञानी हो जाएगा क्योंकि चेतन है। और मथुरा में जिस अन्तकरणणस्थ ब्रह्म ने जो वस्तु देखी उसका स्मरण उसी अन्तकरणस्थ से काशी में नहीं हो सकता। क्योंकि अन्यदृष्टमन्यो न स्मरतीति न्यायात् और के देखे का स्मरण और को नहीं होता। जिस चिदाभास ने मथुरा में देखा वह चिदभास काशी में नहीं रहता किन्तु जो मथुरास्थ अन्तकरण का प्रकाशक है वह काशीस्थ ब्रह्म नहीं होता। जो ब्रह्म जीव है,पृथक नहीं तो जीव का सर्वज्ञ होना चाहिये। यदि ब्रह्म का प्रतिबिम्ब पृथक है तो पूर्व दृष्ट,श्रतु का ज्ञान किसी को नहीं हो सकेगा। जो कहो कि ब्रह्मा एक है इसलिये स्मरण होता है तो एक ठिकाने अज्ञान वा दु:ख हो जाना चाहिये,और ऐसे-ऐसे दृष्टान्तों से नित्य,शुद्ध,बुद्ध,मुक्तस्वभाव ब्रह्म को तुमने अशुद्ध अज्ञानी और बुद्ध आदि दोषयुक्त कर दिया है और अखण्ड को खण्ड-खण्ड कर दिया।
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