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पद्मावत फिल्म : करणी सेना बोली,फिल्म हॉल पर जनता कर्फ्यू लगा दे

नई दिल्ली,
सुप्रीम कोर्ट से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद 25 जनवरी को पद्मावत की देशभर में स्क्रीनिंग होगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर फिल्म विवाद से जुड़े पक्षों के मिले-जुले रिएक्शन आ रहे हैं। करणी सेना ने अपील की है कि सिनेमा हॉल में जनता ही कर्फ्यू लगा दे। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, बिहार के मुजफ्फरपुर में करणी सेना के वर्कर्स ने कथित तौर पर एक सिनेमा हॉल में तोड़फोड़ भी की है। उधर, कांग्रेस ने कहा कि उम्मीद है कि राज्य सरकारें सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करेगी। बता दें कि मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और गुजरात में बैन लगाने के खिलाफ फिल्म के प्रोड्यूसर्स ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की थी। गुरुवार को इस पर सुनवाई करते वक्त सुप्रीम कोर्ट ने इन राज्यों के नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी।

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क्या रिएक्शन आए?
करणी सेना: राजपूत करणी सेना के चीफ लोकेंद्र सिंह कालवी ने कहा, “पूरे देश के सामाजिक संगठनों से अपील करूंगा कि पद्मावत चलनी नहीं चाहिए। फिल्म हॉल पर जनता कर्फ्यू लगा दे।”

कांग्रेस: कपिल सिब्बल ने कहा, “ये कलाकार की बोलने और अभिव्यक्ति स्वतंत्रता पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर है। कलाकार की बोलने की स्वतंत्रता को कायम रखने और कहानी को जिस तरह वो दिखाना चाहता है, उसी रूप में दिखाने की आजादी देने के लिए सुप्रीम कोर्ट को बधाई दी जानी चाहिए। उम्मीद है कि राज्य सरकारें फैसले का सम्मान करेंगी और इसे लागू करने में कोई बाधा नहीं खड़ी करेंगी।”

राजस्थान सरकार: गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कहा, “हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। हम इससे बंधे हुए हैं। मैं और मेरा डिपार्टमेंट लीगल प्रोविजंस को देखेगा। सुप्रीम कोर्ट का डिसीजन पढ़ने के बाद अगर कोई रास्ता निकला, तो हम आगे बढ़ेंगे।”

हरियाणा सरकार: स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने बगैर हमारा पक्ष सुने फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट सबसे ऊपर है तो हम इस फैसले से बंधे हुए हैं। हम इस फैसले को एग्जामिन करेंगे और देखेंगे कि इसके खिलाफ अपील हो सकती है या नहीं।”

किन राज्यों में लगा था बैन?
पद्मावत की रिलीज पर मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और गुजरात सरकार ने बैन लगाया था।

SC ने क्या फैसला सुनाया?
गुरुवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने मामले की सुनवाई की। बेंच में जस्टिस खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ भी थे। SC ने मध्य प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात सरकारों के उन नोटिफिकेशंस पर भी स्टे लगा दिया है, जिनमें फिल्म रिलीज ना होने देने का ऑर्डर दिया गया था। बेंच ने कहा कि लॉ एंड ऑर्डर का मामला राज्य देखें।

प्रोड्यूसर्स ने क्या दलील दी?
प्रोड्यूसर्स के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि वो केंद्र सरकार से गुजारिश करते हैं कि वो राज्यों के लिए डायरेक्शन जारी करे ताकि फिल्म की रिलीज में कोई दिक्कत पेश ना आए।
हरीश साल्वे ने कहा- अगर राज्य ही फिल्म को बैन करने लगेंगे तो इससे फेडरल स्ट्रक्चर (संघीय ढांचे) तबाह हो जाएगा। यह बहुत गंभीर मामला है। अगर किसी को इससे (फिल्म से) दिक्कत है तो वो संबंधित ट्रिब्यूनल में राहत पाने के लिए अपील कर सकता है। राज्य फिल्म के सब्जेक्ट से छेड़छाड़ नहीं कर सकते।
प्रोड्यूसर्स की तरफ से इस मामले में हरीश साल्वे और मुुकुल रोहतगी ने दलीलें पेश कीं। साल्वे ने कहा- जब सेंसर बोर्ड फिल्म को सर्टिफिकेट दे चुका है तो राज्य सरकारें इस पर बैन कैसे लगा सकती हैं? मामले की अगली सुनवाई मार्च में होगी।
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