आदमपुर (अग्रवाल)
गांव चूली कलां निवासी आजाद हिंद फौज के सिपाही रहे स्वतंत्रता सेनानी स्व.रामजीलाल मूंड की पत्नी दाखी देवी को सुभाषचंद्र बोस की जयंती पर जिला प्रशासन सम्मानित करना ही भूल गया। दूसरे दिन जब ग्रामीणों ने रोष जताया तो प्रशासन जागा और गलती मानते हुए दाखी देवी को सम्मानित किया।
आजाद हिंद फौज के सैनिकों और उनकी विधवाओं को घर-घर जाकर सम्मानित किया जाना था। जिसके लिए बकायदा जिले के अधिकारियों की ड्यूटियां भी लगाई गई थी। आदमपुर खंड के गांव मोठसरा में संतोष देवी को अधिकारियों ने सम्मानित किया लेकिन गांव चूली कलां में स्वतंत्रता सेनानी स्व.रामजीलाल मूंड का परिवार और आसपास के गांवों से पहुंचे सैंकड़ों ग्रामीण देर शाम तक अधिकारियों की बाट जोहते रहे। अगले दिन पूरे गांव में यह बात आग की तरह फैल गई और ग्रामीण स्वतंत्रता सेनानी के घर जमा होना शुरू हो गए। जिसके बाद मौके पर पहुंचे जिला परिषद के सी.ई.ओ. विकास यादव ने इसके लिए विभागीय गलती मानते हुए भविष्य में ऐसा न होने का आश्वासन दिया।
स्वतंत्रता सेनानी स्व.रामजीलाल के बेटे इंद्रपाल, सरजीत, आत्माराम, पौते बलवान, सुभाष, विनोद, कुलबीर, सुमित ने बताया कि एक दिन पहले गांव के सरपंच प्रतिनिधि सुरेंद्र साहू और ग्राम सचिव प्रवीण कुमार ने उन्हें सूचना दी कि सुबह जिला प्रशासन की ओर से विधवा दाखी देवी को सम्मानित किया जाएगा। समारोह को लेकर उन्होंने आसपास के अनेक गांवों से ग्रामीणों को इक्ट्ठा किया। अधिकारियों की बेरुखी के चलते ग्रामीणों ने गांव के सरपंच प्रतिनिधि सुरेंद्र साहू और चूली खुर्द के सरपंच विकास बैनीवाल के साथ बैठक की और रोष स्वरूप गांव में 26 जनवरी पर तिरंगा न फहराने का निर्णय लिया। ग्रामीणों में बने रोष का पता लगते ही कांग्रेसी नेता सतेंद्र सिंह मौके पर पहुंचे और इसे सरकार की संवेदनहीनता और अधिकारियों की निष्क्रियता करार दिया। जिसके बाद सतेंद्र सिंह ने जिला उपायुक्त से बात करनी चाही तो कोई सम्पर्क नही हो पाया। बाद में ए.डी.सी. अमरजीत सिंह मान ने बताया कि वे कल चंडीगढ़ गए हुए थे उन्हें कोई जानकारी नही है। इसके बाद एस.डी.एम. परमजीत सिंह चहल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनके पास केवल 7 नामों की लिस्ट आई थी और सभी को सम्मानित किया गया। सी.टी.एम. शालिनी चेतल से बात करने पर उन्होंने मामले की गंभीरता को देखते हुए आनन-फानन में जिला परिषद के सी.ई.ओ. विकास यादव को गांव में सम्मानित करने के लिए भेजा।
स्कूल का नाम स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर रख दो वहीं पूरे गांव का सम्मान
स्वतंत्रता सेनानी स्व.रामजीलाल पत्नी दाखी देवी ने बताया कि वह जिदंगी के 80 बसंत देख चुकी है लेकिन ऐसा अपमान तो पति के जिंदा रहते भी नही हुआ। दाखी देवी ने कहा कि वह घर आए मेहमान का अपमान नही करना चाहती। उसकी तमन्ना है गांव के सरकारी स्कूल का नाम उनके पति स्वतंत्रता सेनानी स्व.रामजीलाल मूंड के नाम पर रखा जाए औैर प्रतिमा स्थापित की जाए ताकि आने वाली पीढ़ी को गांव के इतिहास और स्वतंत्रता सेनानी का पता चल सके। जिस पर अधिकारी ने आश्वासन दिया कि जल्दी ही ग्राम पंचायत और ग्रामीणों की यह मांग सरकार व उच्चाधिकारियों के पास पहुंचा दी जाएगी।
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