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विवाद निपटाने के दौरान हुआ विवाद, बीजेपी नेता बैठे धरने पर

नई दिल्ली,
दिल्ली में सीलिंग के मुद्दे पर चर्चा के लिए मंगलवार सुबह बीजेपी और आप के नेताओं के बीच मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पर ही संग्राम छिड़ गया। बीजेपी नेता सीलिंग पर मीटिंग करने केजरीवाल के आवास पर पहुंचे थे। विवाद निपटाने की चर्चा के दौरान दोनों पक्षों के बीच बात बिगड़ गई और बहस शुरू हो गई। इसके बाद बीजेपी नेता मारपीट और बदसलूकी का आरोप लगाते हुए केजरीवाल के घर के बाहर धरने पर बैठ गए।
यही नहीं मनोज तिवारी के नेतृत्व में बीजेपी के नेताओं ने ‘आप’ नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। बीजेपी विधायक विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि सीएम आवास में हमसे बदसलूकी की गई है। यही नहीं उन्होंने ‘आप’ नेताओं पर बदसलूकी और धक्का-मुक्की का आरोप लगाया। इन नेताओं में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी समेत सांसद रमेश बिधूड़ी, प्रवेश वर्मा और विधायकों समेत दो मेयर भी शामिल हैं।

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मनोज तिवारी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल ने बातचीत के लिए भारी भीड़ बुला ली और वह बातचीत को लेकर गंभीर नहीं है। वहीं, केजरीवाल ने पलटवार करते हुए कहा कि इस मसले का समाधान केंद्र के प्रतिनिधि गवर्नर ही कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि उनके पास 4 फाइलें हैं, जिन पर वह साइन नहीं कर रहे हैं। केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार इस पर अध्यादेश भी ला सकती है।

अरविंद केजरीवाल ने वार्ता टूटने के बाद कहा, ‘कल हमारे पास विजेंद्र गुप्ता की चिट्ठी आई थी कि हम लोग मिलना चाहते हैं। मुझे बेहद खुशी हुई कि हम इस मौके पर बातचीत करेंगे और अपने-अपने दायरे में कदम उठाने पर सहमति बनेगी। यदि दोनों पार्टियां सही से बात कर लेती तो यह मिसाल बन जाती। मुझे दुख है कि वे लोग चले गए। वो अकेले में बात करना चाहते थे। खुले में बात करने की अपील को उन्होंने नहीं सुना।’ केजरीवाल ने यह भी कहा कि यदि इस सप्ताह तक एलजी ऐक्शन नहीं लेते तो हम अस्थायी रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे।

बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने कहा, ‘हम हंगामा नहीं चाहते थे। इसलिए हमने 20 लोगों का नाम दिया था कि हम मिलना चाहते हैं। हमने बोलना शुरू किया तो उनके विधायक उठ कर कहने लगे कि आप यहां भाषण मत दो। अपरिपक्वता अरविंद केजरीवाल ने दिखाई है। उन्हें 150 लोगों को बुलाने की क्या जरूरत थी। दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष का ‘आप’ ने अपमान किया है।’

जानें, क्या है सीलिंग विवाद?
2006 में शीला दीक्षित सरकार के कार्यकाल में दिल्ली में सीलिंग शुरू हुई थी। इसके तहत मास्टर प्लान 2021 के लिए रिहायशी इलाकों में कमर्शल गतिविधियों पर रोक का प्रावधान है। इसमें कन्वर्जन का भी प्रस्ताव था, जिसके तहत ऐसी जगहों के लिए कन्वर्जन फीस जमा करा कर लैंड यूज बदलवाया जा सकता है। इस पर कारोबारियों का विरोध है कि उनकी जमी हुई दुकानें खत्म की जा रही है। वहीं, कन्वर्जन चार्ज अधिक होने को लेकर भी आपत्ति जताई जा रही है।

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