चरखी दादरी हरियाणा

संत रविदास के दिखाए मार्ग पर चलकर आज समाज को बांटने वाली ताकतों से लडऩे की जरूरत-भव्य बिश्नोई

दादरी,
संत रविदास जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए युवा कांग्रेस नेता भव्य बिश्नोई ने कहा कि आज हमारे देश में जो ताकतें सत्ता के केन्द्र में बैठी हैं वह भी धर्म, जाति के नाम पर बांटकर हमारे समाज को उसी अंधकार की ओर ले जा रही हैं, जिससे बड़ी मेहनत से रविदास जैसे महान संत निकालकर लाए थे। संत रविदास जैसे महान संतों के दिखाए आदर्शों पर चलकर हमें आज ऐसी ताकतों से लडऩे की जरूरत है, जो वोटबैंक की राजनीति के चक्र में समाज को बांटने का कुप्रयास कर रही हैं।  इसके उपरांत उन्होंने दादरी व भिवानी में कई कार्यक्रमों में भाग लिया। 

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       भव्य बिश्नोई ने कहा कि हिंदू धर्म को दुनिया के सभी धर्मों में से सबसे प्राचीन धर्म माना गया है और हमारे देश में ही सबसे पहले संस्कृति आई यह सर्वविदित है। विलक्षण भारत में अनेक महान संत हुए हैं, जिन्होंने हमारे समाज को नई राह दिखाकर मानवता की दिशा में आगे बढऩे के लिए पे्ररित किया। 15वीं सदी में अपनी रचनाओं से ईश्वर, गुरू, ब्रह्मांड और कुदरत के साथ पे्रम का संदेश देने वाली रचनाओं के रचयिता हुए हैं महान संत रविदास जी। संत रविदास की रचनाओं का समाज में भक्ति तथा लोगों की विचारधारा पर गहरा प्रभाव पड़ा।

संत रविदास एक समाज सुधारक, मानवतावादी, चिंतक और महान कवि थे। जिस तरह से गुरू जंभेश्वर भगवान ने समाज में व्याप्त कुरीतियों, अंधविश्वास को समाप्त करने की दिशा में 29 नियमों की आंचार संहिता लागू करके आदर्श समाज की स्थापना की थी, उसी तरह से संत रविदास ने अपनी कविताओं, संदेशों, रचनाओं से भारतीय समाज को रूढि़वादिता से बाहर निकालते हुए आधुनिकता की तरफ मोड़कर संदियों से अज्ञानता के अंधेरे में लुप्त हमारे समाज को रोशनी की नई किरण दिखाई थी।

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संत रविदास ने कई भक्ति और सामाजिक संदेशों को अपने लेखन के माध्यम से अपने भक्तों, अनुयायियों, समुदाय तथा समाज के लोगों के लिए ईश्वर के प्रति पे्रम भाव को दर्शाया। संत रविदास लोगों के लिए मसीहा बने और आज भी पूरे देश में लोग उनके महान धार्मिक गीतों, दोहों और पदों को रात-दिन सुनते हैं। वैसे तो संत रविदास को पूरे विश्व भर में सम्मान दिया जाता है, परंतु उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र में उनके भक्ति आंदोलन और भक्ति गीत को कुछ अलग ही सम्मान दिया जाता है। 

       युवा कांग्रेस नेता ने कहा कि संत रविदास के जीवन से हमें निडरता, भगवान के प्रति भक्ति और सभी धर्म, जातियों के प्रति सम्मान पे्रम भाव रखने जैसे गुण सीखने को मिलते हैं। उन्होंने उस समय समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई। छुआछूत जैसी सामाजिक बुराईयों का न केवल उन्होंने विरोध किया, बल्कि ताउम्र इन कुरीतियों के खिलाफ काम करते रहे। संत रविदास जिन्हें गुरू रविदास, रैदास, रोहिदास जैसे अनेकों नाम से भी जाना जाता है मध्य युग भारत के महान समाज सुधारक, संत रविदास के दिखाए हुए भक्ति के मार्ग पर चलते हुए सत्य का पालन करना ही सच्ची ईश्वर की भक्ति और सेवा है। संत रविदास के ऐसे विचार आज भी हम सभी के लिए अनुकरणीय हैं। उस दौर में संत रविदास ने क्या खूब कहा है कि: जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात, रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात। अथार्थ – जिस प्रकार केले के तने को छिला जाए तो पत्ते के नीचे पत्ता, फिर पत्ते के नीचे पत्ता और अंत में कुछ नहीं निकलता है, लेकिन पूरा पड़ खत्म हो जाता है ठीक उसी प्रकार इंसान भी जातियों में बांट दिया गया है। इन जातियों के विभाजन से इंसान तो अलग-अलग बंट जाता है और इस अंत में इंसान भी खत्म हो जाते हैं, लेकिन यह जाति खत्म नहीं होती, इसलिए रविदास जी कहते हैं कि जब तक ये जाति खत्म नहीं होगी तब तक इंसान एक दूसरे से जुड़ नहीं सकता या एक नहीं हो सकता है।

इस दौरान पूर्व विधायक धर्मपाल सांगवान, सुरेन्द्र परमार, बहादुर चंद शर्मा, रणधीर पनिहार, शांतनू सिंह, पप्पू यादव, सुनील शास्त्री, दलबीर, महेश सैनी, प्रमोद यादव, नरेन्द्र कौशिक, डॉ. राजेश शर्मा, भूपेन्द्र सांगवान, रविन्द्र शर्मा, सतबीर पार्षद, विनोद वाल्मीकि पार्षद, कृष्णास शर्मा पार्षद, सोनू सैनी पार्षद, संजय सिंह, जय सिंह, सुरेेन्द्र, प्रवीण, सोनू, विरेन्द्र गोपाल, अनिल लितानी, प्रवीण सैनी आदि उपस्थित थे। 
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