हिसार (राजेश्वर बेनीवाल)
देश की पहली व सबसे कठिन 1400 किलोमीटर की इंडो-नेपाल ट्रांस बॉडर राइड में देश के विभिन्न राज्यों से 23 साइकिलिस्टों ने हिस्सा लिया। इसमें हिसार के निशांत मेहता ने 108 घंटों में राइड पूरी करके सफलता पाई। यह राइड 26 जनवरी को नई दिल्ली से शुरू होकर गाजियाबाद, बरेली होते हुए भारत के आखिरी कस्बे बनवसा से नेपाल में तीन वाइल्ड लाइफ सेंचुरी पार करते हुए नेपाल में लम्ही तक 700 किलोमीटर जाकर वापिस 1400 किलोमीटर की नई दिल्ली तक की राइड की।
प्रतियोगिता में भाग लेने वाले 23 साइकिलिस्टों में चैन्नई, केरला व पंजाब से 4-4, मुंबई से 1, सतना से 7, दिल्ली, बैंगलोर व हरियाणा से 1-1 साइकिलिस्ट शामिल थे। हरियाणा से हिस्सा लेने वाले हिसार के निशांत मेहता ने प्रदेश व अपने जिले का नाम रोशन किया। इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए पहले सभी प्रतिभागियों को एस.आर. का टाइटल हासिल करना पड़ता है, जो किसी एक साइक्लिंग वर्ष में 200 किलोमीटर, 300 किलोमीटर, 400 किलोमीटर व 600 किलोमीटर की राइड को सफलतापूर्वक पूरा करने पर दिया जाता है। यह भारत की अब तक की सबसे कठिन साइकिल राइड थी, जिसमें करीब 14 हजार 500 फुट की ऊंचाई और लगभग 80 किलोमीटर का घना जंगल पार करना पड़ता है। इस कठिनाई को देखते हुए घायल होने के कारण चार राइडर अभियान बीच में ही छोड़ गये जबकि कुछ राइडर तय समय में अभियान पूरा नहीं कर पाये। हिसार के निशांत मेहता ने सभी बाधाओं को पार करते हुए इस राइड को तय समय में सफलतापूर्वक पूरा किया। इस सफलता पर राइड के आयोजक डा. चिरो मित्रा और दिल्ली रेंडोनर्स ने उन्हें मैडल देकर सम्मानित किया।
निशांत के हिसार आगमन पर हिसार रोडिस द साइक्लिंग क्लब की ओर से प्रधान डा. अरूण अग्रवाल व अन्य सदस्यों ने उनका स्वागत किया। इस साइक्लिंग राइड का उद्देश्य लोगों में साइक्लिंग के प्रति जागरूकता लाना व अपनी दैनिक दिनचर्या में साइक्लिंग का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करना है। निशांत मेहता ने बताया कि यदि देश के नागरिक, खासकर कार्यालय जाने वाले भी साइकिल का प्रयोग शुरू कर दे तो यातायात समस्या से छुटकारा पा जा सकता है वहीं प्रदूषण की बढ़ती समस्या से भी हम बच सकेंगे।
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