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करनाल
ज्वाइनिंग देकर निलंबन कर देने से नाराज जेबीटी नवचयनित अध्यापकों ने पुलिस लाइन में अनशन शुरु कर दिया है। राजकीय जेबीटी संघर्ष समिति के बैनर तले अनशन कर रहे आंदोलनकारियों का आरोप है कि प्रदेश सरकार ने उनकी ज्वाइनिंग का वादा किया था, लेकिन इसके बाद भी 1269 टीचर्स की ज्वाइनिंग देकर निलंबन कर गया। अनशन के दौरान आंदोलनकारियों ने प्रदेश की भाजपा सरकार को चेताया है कि यदि उनकी मांगों पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया तो वे आत्मदाह कर लेंगे। टीचर्स के तेवरों को देखते हुए पुलिस ने पुलिस लाइन से आंदोलनकारियों को 2 बसों में बैठाकर कैथल रोड पर छोड़ दिया। इस दौरान आंदोलनकारी लगातार सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। आरोप है कि इस दौरान पुलिसकर्मी महिला आंदोलनकारियों के आगे अभद्र भाषा का प्रयोग करती रही।
क्यों फैला आक्रोश
शिक्षा विभाग द्वारा सोमवार से कम्बाइंड मैरिट सूचि में लोवर मैरिट में आने वाले नवनियुक्त जेबीटी को स्पीकिंग ऑर्डर पारित करते हुए अगले हफ्ते में हटाए जाने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश जारी करने के पत्र की जानकारी मिलते ही हजारो नवनियुक्त जेबीटी शिक्षकों में आक्रोश फ़ैल गया है। इन शिक्षकों ने रविवार को राजकीय जेबीटी संघर्ष समिति के बैनर तले करनाल में मुख्यमंत्री के ओएसडी के आवास का घेराव किया । इन शिक्षकों के आक्रोश की बड़ी वजह ये भी है कि खुद निदेशालय ने ही अपने 2 जून को जारी पत्र में सभी ऐसे जेबीटी शिक्षकों को व्यक्तिगत सुनवाई के बाद ही स्पीकिंग ऑर्डर पास करने का आदेश सभी डीईईओ को दिया था लेकिन अब नए निर्देश में व्यक्तिगत सुनवाई का मौका दिए बिना ही स्पीकिंग ऑर्डर पास करने की बात कही है। निदेशालय के दोनों निर्देश आपस में ही विरोधाभासी है।
क्या कहना है संघर्ष समिति का
राजकीय जेबीटी संघर्ष समिति के प्रेस प्रवक्ता बिजेंद्र गुज्जर ने बताया कि शिक्षा विभाग व सरकार अपने ही निर्देशों व वादों से मुकर रहे है। शिक्षा विभाग द्वारा हाईकोर्ट की डबल बेंच द्वारा अंतिम कुमारी केस में दिए गए आदेशों व एडवोकेट जनरल की अंडरटेकिंग की पालना नहीं की जा रही है जो कि गैरकानूनी व कोर्ट की सरेआम अवमानना है। उन्होंने कहा कि 8 जून को हाईकोर्ट ने वीरेंद्र कुमार केस में दिए अपने आदेश में 26 जुलाई तक लोवर मैरिट वाले शिक्षक को न हटाने के भी आदेश दिए है और ये भी लिखा है कि दूसरी सूचि वाले चयनित जेबीटी को तो कानूनन नियुक्ति का कोई अधिकार ही नहीं है। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग ने उन्हें मात्र 3 दिन का समय शो कॉज नोटिस का जवाब देने के लिए दिया जबकि कम से कम 1 महीने का समय नियमों के हिसाब से कर्मचारी को देना चाहिए। उन्होंने बताया कि जिस केस का हवाला दे कर नवनियुक्त जेबीटी को हटाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है उस केस में ऐसा कोई ऑर्डर ही नहीं है कि नियुक्त हो चुके ओरिजिनल चयन सूचि के जेबीटी शिक्षक को हटाया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार व शिक्षा विभाग की इस धक्केशाही का डटकर मुकाबला किया जायेगा। राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ भी इन शिक्षकों के संघर्ष में शामिल हो गया है।
शिक्षकों के आक्रोश की प्रमुख वजह व विवाद:
1. अंतिम कुमारी केस का ऑर्डर डबल बेंच का फाइनल ऑर्डर है और वो आज तक ख़ारिज नहीं हुआ मतलब वैध है तो 9455 को कैसे निकाला जा सकता है ?
2. जस्टिस सूर्यकांत वाली डबल बेंच का 8 मई का ऑर्डर एक अंतरिम ऑर्डर है और उसमें नियुक्त हो चुके जेबीटी को हटाने बारे कोई टिप्पणी या आदेश नहीं है। ये बात खुद हाईकोर्ट ने भी 8 जून के अपने 10 पेज के ऑर्डर में स्वीकार करते हुए वीरेंद्र की याचिका पर उसको हटाने पर रोक लगा दी। फिर शिक्षा विभाग ऑर्डर की बेमतलब की गलत व्याख्या निकाल करके इन नियुक्त ही चुके जेबीटी को निकालने पर क्यों आमादा है ?
3. शिक्षा विभाग खुद अपने 2 जून के पत्र/ऑर्डर में पर्सनल हियरिंग का मौका देने के निर्देश से क्यों भाग रहा है ? वजह क्या है ?
4. बहुत से टीचर्स को डाक से भेजा हुआ शो कॉज नोटिस ही अभी तक नहीं मिला तो भला वो नोटिस का जवाब कैसे 9 तारीख तक देता ? उसको तो हो सकता है कि पता भी न हो कि उसे हटाने की प्रक्रिया चल रही है।
5. नवनियुक्त जेबीटी शिक्षकों के नियुक्ति पत्र में बिंदु नम्बर 4 पर स्पष्ट लिखा है कि कर्मचारी को हटाने से पहले 1 महीने का शो कॉज नोटिस दिया जायेगा। फिर 5 दिन का टाइम किस धारा/कानून के तहत दिया गया ?
6. अंतिम कुमारी केस का फैसला फाइनल फैसला है और 8 मई वाला ऑर्डर मात्र एक अंतरिम ऑर्डर है। फिर ऐसी क्या मजबूरी है कि विभाग के लिए एक अंतरिम ऑर्डर का महत्व दूसरे फाइनल फैसले (अंतिम कुमारी) से भी ज्यादा है। और विभाग फाइनल फैसले को मानने की बजाय एक अंतरिम ऑर्डर की पालना को जरूरी मान रहा है और हद से ज्यादा फुर्ती दिखा रहा है। ये सब समझ से परे है।
7. विभाग को 8 जून का जस्टिस मसीह का 10 पेज का ऑर्डर पढ़ने के बाद शायद ये आभास हो गया हो कि अब सबको स्टे मिल जायेगा और जस्टिस मसीह की बेंच ने अपने ऑर्डर में दूसरी चयनसूचि के उम्मीदवारों की एलिजिबिलिटी को ले कर जो ऑब्जर्वेशन दी है या टिप्पणियॉ की है उससे दूसरी चयनसूचि के उम्मीदवारों की नियुक्ति में भविष्य में बाधा आ सकती है, इसलिए ये फुर्ती दिखाई गई हो।
8. क्या ये किसी डीईईओ के लिए सम्भव है कि 9 जून को देर सांय तक मिले सभी टीचर्स के शो कॉज नोटिस को वो 1 दिन में पूरा पढ़ ले और उनके जवाब के आधार पर सबके अलग-अलग स्पीकिंग ऑर्डर भी पास कर दे ?
शिक्षकों की प्रमुख मांगे:
1. अंतिम कुमारी केस के फैसले के मद्देनजर 1259 जेबीटी को हटाने की कारवाई रोकी जाए।
2. शिक्षा विभाग द्वारा 2 जून को जारी पत्र/ऑर्डर के अनुसार सभी शिक्षकों को पर्सनल हियरिंग (व्यक्तिगत सुनवाई) का मौका दिया जाए ताकि वो अपना पक्ष विस्तार से रख सके।
3. बहुत से टीचर्स को डाक से भेजा हुआ शो कॉज नोटिस ही अभी तक नहीं मिला तो भला वो नोटिस का जवाब कैसे 9 तारीख तक देता ? इसलिए जवाब देने की समयसीमा कम से कम 15 दिन बढ़ाई जाए।
4. इन शिक्षकों की बैठक मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री से कारवाई जाए।