लखनऊ,
साल 2018 का पहला विधानसभा सत्र गुरुवार को राज्यपाल राम नाईक के अभिभाषण के साथ शुरू हो गया। जैसे ही राज्यपाल ने अपना भाषण शुरू किया समाजवादी पार्टी के नेतृत्व में अन्य विपक्षी दलों के विधयाकों ने नारेबाजी शुरू कर दी। हालांकि शोरगुल और हंगामे के बीच राज्यपाल अपना अभिभाषण पढ़ते रहे। इस बीच विपक्ष ‘राज्यपाल वापस जाओ वापस जाओ’ के नारे लगा रहे हैं। विपक्ष बैनर और पोस्टर के साथ सदन के भीतर नारेबाजी कर रहा है। इस दौरान राज्यपाल के तरफ कागज के गोले भी फेंके गए।
इससे पहले विधानसभा के बजट सत्र से पहले समाजवादी पार्टी के विधायक धरने पर बैठ गए हैं। हालांकि बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष ने सर्वदलीय बैठक में सभी दलों से सदन की कार्रवाई को सुचारू रूप से चलने की अपील की थी। खासकर राज्यपाल के भाषण के दौरान सदन शांत रहे। आज सत्र के पहले दिन ही विपक्ष कानून व्यवस्था, फर्जी मुठभेड़, आलू, गन्ना किसानों की समस्याओं, बिजली की किल्लत व बढ़ी दरों और युवाओं के रोजगार जैसे मुद्दों पर विपक्ष आक्रामक रुख अपना सकता है।
विधानसभा भवन में सामने चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा के समक्ष नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी और नेता प्रतिपक्ष विधानमंडल अहमद हसन के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी के विधायक धरने पर बैठे हैं। रामगोविंद चौधरी ने बताया कि प्रदेश की जो कानून व्यवस्था है उसको लेकर पार्टी विरोध कर रही है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से कासगंज में मुसलामानों को प्रेषण किया जा रहा है उसको लेकर पार्टी चुप नहीं बैठेगी। उन्होंने कहा कि मुसलमान झंडा पहरा रहे थे, उन्हें रोका गया और दंगे किए गए।
इसके अलावा इस सरकार ने कोई भी विकास का काम नहीं किया है। फर्जी एनकाउंटर किए जा रहे हैं। आलू किसान परेशान है, युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है।
वहीं विधानमंडल में सपा के नेता अहमद हसन ने कहा कि आज सूबे अराजकता का माहौल है। सूबे में अपराधों की बाढ़ आ गई है। राज्यपाल के भाषण के दौरान हंगामे को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राज्यपाल खुद ही कासगंज की घटना को यूपी के लिए कलंक बता चुके हैं।
गौरतलब है कि बजट सत्र 8 मार्च तक चलेगा। 16 फ़रवरी को बजट पेश होगा। लिहाजा सदन में विपक्ष भी पूरी तयारी से पहुंचा है।
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