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जमीन अधिग्रहण रद्द करने के हुड्डा सरकार के आदेश को सुप्रीमकोर्ट ने किया रद्द, कहा सत्ता का स्पष्ट दुरुपयोग हुआ

गुरुग्राम,
मानेसर के नजदीक पांच गांवों की जमीन पर सेक्शन 4 और 6 के नोटिस दिए जाने के बावजूद 2007 में अधिग्रहण रद्द कर देने और इस दौरान जमीन निजी बिल्डरों द्वारा खरीदे जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने अधिग्रहण रद्द करने और निजी बिल्डरों को लाइसेंस देने को स्पष्ट रूप से सत्ता का दुरूपयोग करार दिया है।

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कोर्ट ने आदेश दिया है कि 27 अगस्त 2004 से लेकर 29 जनवरी 2010 के बीच खरीदी गई जमीन हरियाणा सरकार के HUDA/HSIIDC के अधीन रहेगी। इस दौरान बिल्डरों को दिए गए चेंज ऑफ लैंड यूज के लाइसेंस भी HUDA/HSIIDC के अधीन रहेंगे।
विशेष बात ये भी है कि कोर्ट ने किसानों को हुए किसी भी तरह के नुकसान की भरपाई का पूरा इंतज़ाम किया है। किसी भी सूरत में जमीन मालिक किसानों को जमीन के बदले मिली कीमत में से कुछ भी वापिस नहीं लिया जाएगा। ये किसान अपनी जमीन की मिली हुई कीमत से असंतुष्ट हों तो वे रैफरेंस कोर्ट जा सकते हैं। कोर्ट ने कहा है कि अगर बिल्डरों ने जमीन सस्ते दाम पर खरीदी है तो किसानों को बैलेंस का भुगतान हरियाणा सरकार करेगी। वहीं, अगर किसी जमीन मालिक को रैफरेंस कोर्ट द्वारा तय कीमत से ज्यादा पैसे मिले हुए हैं तो वे उनसे वापिस नहीं लिए जाएंगे।
इस प्रक्रिया में निजी बिल्डरों ने किसानों से जमीन खरीदने और निर्माण पर जो खर्च किया है, उसके रिकवरी के लिए वे हरियाणा सरकार के HUDA/HSIIDC के पास आवेदन करें। ये दोनों एजेंसियां अपने तय नियमों के अनुसार जमीन की खरीद के रेट और निर्माण की लागत के आंकलन के हिसाब से भुगतान करेगी। जमीन का रेट इस समय के दौरान पहली बार हुए जमीन सौदे के हिसाब से तय होगा।
जिन लोगों ने निजी बिल्डरों से फ्लैट या प्लॉट खरीदे हैं, उन्हें या तो फ्लैट-प्लॉट दिेए जाएंगे या फिर वे अपने पैसे वापिस मांग सकते हैं। ये सभी क्लेम HUDA/HSIIDC की निगरानी और मंजूरी से सैटल होंगे। जिस जमीन पर कोई निर्माण नहीं हुआ है, वह HUDA/HSIIDC के पास रहेगी और ये विभाग ही उस बारे में फैसला लेंगे। प्लॉट-फ्लैट खरीदने वालों को अपना क्लेम एक महीने के भीतर करना होगा और उसका निपटारा आज से दो महीने के भीतर कर दिया जाएगा।

बिचौलियों के खिलाफ भी हो सकती है कार्यवाही

इस दौरान जमीन सौदों में बिचौलियों ने जो पैसे कमाए हैं, वे भी राज्य सरकार रिकवर करेगी और पैसों के बड़े ट्रांजेक्शन की जांच सीबीआई करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि बिचौलियों की अप्राकृतिक कमाई की सीबीआई गहनता से जांच करेगी।
जमीन मालिकों को राज्य सरकार की रीहैबिलिटेशन एंड रीसेटलमेंट स्कीम का फायदा दिया जाएगा और इसके तहत अगर किसी को जमीन दी जानी है तो वो इसी अधिगृहित जमीन में से दी जा सकेगी।

हुड्डा के खिलाफ जांच आयोग को दी गई चुनौती पर जल्द आएगा फैसला
इस मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनाया है कि मानेसर जमीन घोटाले की जांच के लिए जो राज्य सरकार ने आयोग बनाया था और उस पर पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट में जो चुनौती दी गई है, उसका फैसला हाइकोर्ट से जल्द से जल्द सुनाने और संभव हो तो दो महीने के भीतर सुनाने की अपील की गई है।

सुप्रीम कोर्ट की ओर से सोमवार को आए इस फैसले से मानेसर के नजदीक 5 गांवों के उन किसानों को बड़ी राहत मिलने वाली है जिनकी जमीन हुड्डा सरकार में अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होने के बाद औने पौने दाम पर निजी बिल्डरों के हाथों में चली गई। इसू मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनकी सरकार के कई अधिकारियों पर गंभीर आरोप है। कुछ दिन पहले ही सीबीआई ने हुड्डा समेत 34 लोगों के खिलाफ 80 हजार पेज की चार्जशीट दाखिल की थी।

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