धर्म

परमहंस स्वामी सदानंद जी महाराज के प्रवचनों से—25

एक बार तीन चोर थे। उन्होंने एक धनी व्यक्ति के घर चोरी कर उसका सब कुछ लूट कर भाग गए। उन्होंने सारा धन एक थैले में भर लिया। तीनों चोर सब कुछ लूट कर नजदीक के ही जंगल में जाकर छुप गए। कुछ देर बाद उन्हें जोरो से भूख लगने लगी। वहां जंगल में खाने को उन्हें कुछ भी नहीं मिला इसीलिए उनमे से एक चोर नजदीक के ही एक गांव में भोजन लेने गया। बाकी के दोनों चोर चोरी के सामान की रखवाली के लिए जंगल में ही रुक गए।

जो चोर खाने के लिए भोजन लेने गया था उसकी नियत खराब थी। गांव में जाकर होटल में उसने पेट भर खाना खाया फिर उसने अपने साथियों के लिए भोजन लिया और वहां से चल पड़ा। रास्ते में जाते उसके मन में लालच आ गया और वो सोचने लगा क्यों ना इस भोजन में जहर मिला दिया जाये तो लूटा हुआ सारा धन मेरा हो जायेगा। उसने भोजन में जहर मिला दिया।

उधर दूसरी तरफ़ उन दोनों चोरों के मन में भी लालच जाग गया था और उन्होंने उसे मारने की योजना बना ली थी। तीनो चोरों ने एक —दुसरे को मारने की योजना बना ली थी। जैसे ही वो चोर भोजन लेकर आया उन दोनों चोरों ने उसके सिर पर भारी पत्थर से हमला कर दिया और वो वहीँ मर गया। बाद में उन्होंने सोचा के क्यों ना भोजन खाकर ही धन आपस में बांटा जाए। परन्तु ज़हरीला भोजन खाते ही वो दोनों भी वहीँ मर गए।

प्रेमी सुंदरसाथ! गलत तरीके से आया धन और लालच कभी भी व्यक्ति को सुख—शांति नहीं दे सकता। ये पतन का कारण बनता है।

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