खेत—खलिहान गुरुग्राम हरियाणा

जमीन में नहीं अब बिना मिट्टी के पाइपों में लग रही है सब्जियां

गुड़गांव,
सुशांत लोक स्थित गवर्नमेंट प्राइमरी स्कूल में बिना मिट्टी में पौधे लगाकर सब्जियां उगाई जा रही हैं। इजरायल की तर्ज पर नारियल के छिलके से बनी खाद को पाइप में डाल दिया जाता है। इसके बाद पाइप में जगह-जगह छेद कर उसमें पौधे लगा दिए जाते हैं। इसे हाइड्रोपोनिक गार्डन कहा जाता है। सबसे अच्छी बात यह है कि सही देखभाल की वजह से 30 दिन पहले लगाए गए पौधों में सब्जियां उग आई हैं, जिसे देखकर बच्चों के चेहरे खिल गए हैं।
शुरुआत में स्टूडेंट्स और शिक्षकों ने मिलकर लगभग ढाई हजार पौधे साढ़े 3 लाख रुपये खर्च कर सेटअप बनाने में गिव मी ट्री संस्था और होंडा कंपनी ने पूरा सहयोग किया है। सेटअप के बाद देखभाल का जिम्मा शिक्षकों और छात्रों को दे दिया गया है। स्कूल हेड मनोज कुमार का कहना है कि वे अक्सर बिना मिट्टी के पौधे लगाने की प्रणाली के बारे में यू-ट्यूब में देखा करते थे। ऐसे में एक दिन उनके पास संस्था की ओर से प्रस्ताव आया कि वे इस प्रणाली के तहत स्कूल में सेटअप तैयार करना चाहते हैं।

इजरायल में हाइड्रोपोनिक गार्डन अधिक हैं क्योंकि वहां की मिट्टी कृषि योग्य नहीं है, ऐसे में वहां पर पाइपों में पौधे उगाए जाते हैं। स्कूल के शिक्षक मंजीत मान का कहना है कि उन्हें बच्चों के साथ मिलकर यह काम करना बहुत अच्छा लगता है। स्कूल के सभी टीचर मिलकर पानी समेत ऑर्गेनिक स्प्रे करते हैं, ताकि कीड़े इन सब्जियों को खराब न करें। दिन में धूप के कारण कीड़े नहीं आते हैं, लेकिन रात में इनका खतरा अधिक होता है।

हाइड्रोपोनिक गार्डन में ऐसे लगते हैं पौधे
इस गार्डन में पाइपों और पानी के जरिए फल, फूल और सब्जियों के पौधे उगाए जाते हैं, जिसमें टमाटर, मिर्ची, बैगन, शिमला मिर्च, तोरी, लौकी, तरबूज, पालक, सदाबहार फूल समेत कई और पौधे शामिल हैं। पौधों को लगाने के लिए नारियल का बुरादा या फोम का प्रयोग किया गया है। पाइपों को पानी की टंकी के साथ जोड़ा गया है।

हर 2 घंटे में पौधों तक पहुंचता है पानी
हर 2 घंटे में 2 मिनट के लिए मोटर ऑटोमैटिक ऑन होती है, जिससे पौधों तक पानी जाता है। स्कूल में कोई कर्मचारी भी नहीं है। ऐसे में शिक्षकों की ही जिम्मेदारी होती है कि रात में पानी की मोटर चलाकर टंकियों को भरें, ताकि हर दो घंटे में पौधों तक पानी पहुंच सके।

मात्र 30 दिन में उगाई सब्जियां
फूल या फल की खेती जमीन पर की जाती है तब सब्जियां लगने में कम से कम दो से तीन महीने का समय लगता है, लेकिन इस प्रक्रिया से केवल तीस दिन में ही फल तैयार हो जाता है। यह प्रक्रिया सरल भी है और समय की बचत भी होती है।

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