चंडीगढ़,
पिछली भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार में मंजूर तीन रेल परियोजनाओं पर संकट के बादल गहरा गए हैं। केंद्र सरकार ने हिसार-अग्रोहा-फतेहाबाद रेल परियोजना को निरस्त कर दिया है। इसके साथ ही दिल्ली-नूंह-अलवर और यमुनानगर-चंडीगढ़ रेल परियोजना भी अधर में है। केंद्र सरकार ने इन दोनों परियोजनाओं के लिए मुफ्त जमीन उपलब्ध करवाने पर हरियाणा सरकार से जवाब मांगा था। लेकिन, हरियाणा सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया है। यह रेल परियोजनाएं 2013-14 के बजट में मंजूर हुई थी।
कांग्रेस संसदीय दल के मुख्य सचेतक एवं रोहतक के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने लोकसभा में हरियाणा की रेल परियोजनाओं पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। इस पर केंद्रीय रेल राज्य मंत्री राजन गोहेन ने जानकारी दी थी। शुक्रवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में दीपेंद्र हुड्डा ने केंद्र सरकार के जवाब की जानकारी दी।
दीपेंद्र के अनुसार, पिछली हुड्डा सरकार में छह रेल लाइनें मंजूर हुई थी। इनमें से रोहतक-रेवाड़ी और जींद-सोनीपत रेल लाइनों पर काम शुरू हो चुका है। हांसी-महम रेल लाइन के लिए भी जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया आरंभ हो गई। हिसार-अग्रोहा-फतेहाबाद, दिल्ली-नूंह-अलवर और यमुनानगर-चंडीगढ़ रेल परियोजनाओं पर काम शुरू नहीं हो पाया है। इस पर उन्होंने लोकसभा में इन परियोजनाओं पर जानकारी मांगी तो बताया गया कि नॉन फिजिकल और कमजोर ट्रैफिक के कारण हिसार-अग्रोहा-फतेहाबाद रेल परियोजना को निरस्त किया जा चुका है।
दीपेंद्र हुड्डा के अनुसार, केंद्रीय रेल राज्य मंत्री ने बताया कि नीति आयोग ने दिल्ली-नूंह-अलवर और यमुनानगर-चंडीगढ़ रेल परियोजनाओं के लिए 50-50 फीसद राशि की शेयरिंग पर मंजूरी नहीं दी है। नीति आयोग ने हरियाणा सरकार से कहा है कि वह 50 फीसद राशि के साथ इन दोनों रेल परियोजनाओं के लिए जमीन भी मुफ्त उपलब्ध कराए, लेकिन अभी तक हरियाणा सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है।
दीपेंद्र हुड्डा ने आशंका जताई कि हरियाणा सरकार का रुख ठीक नहीं है। इसलिए यह दोनों रेल परियोजनाएं भी रद हो सकती हैं। उन्होंने बताया कि लोकसभा में 15 साल की रेल परियोजनाओं के बारे में जानकारी मांगी गई थी। केंद्र सरकार के जवाब में आठ परियोजनाओं के बारे में बताया गया, जिसमें से छह हुड्डा सरकार की हैं।
उन्होंने कहा कि चंडीगढ़-बद्दी रेल परियोजना में हिमाचल प्रदेश और मेरठ-पानीपत रेल परियोजना में उत्तर प्रदेश सरकार की हिस्सेदारी है। उन्होंने बताया कि इन रेल परियोजनाओं में सोनीपत रेल कोच फैक्ट्री का कोई जिक्र नहीं है। इसे पहले ही वाराणसी शिफ्ट कर दिया गया है। इस अवधि में डबल लाइनों की छह परियोजनाएं लगी, जिनमें से पांच हुड्डा सरकार के कार्यकाल की हैं।