हैदराबाद,
एनआईए की विशेष अदालत ने साल 2007 के मक्का मस्जिद विस्फोट से जुड़े मामले में फैसला सुना दिया है। इस मामले में कोर्ट ने असीमानंद समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। NIA कोर्ट में इन आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं रख पाया।
आपको बता दें कि इस विस्फोट में नौ लोगों की मौत हो गई थी। एनआईए मामलों की चतुर्थ अतिरिक्त मेट्रोपोलिटन सत्र सह विशेष अदालत ने सुनवाई पूरी कर ली थी और पिछले हफ्ते फैसले की सुनवाई 16 अप्रैल तक के लिए टाल दी गई थी।
धमाके में गई थी 9 लोगों की जान
18 मई 2007 को जुमे की नमाज के दौरान ऐतिहासिक मक्का मस्जिद में हुए विस्फोट में 9 लोगों की मौत हो गई थी और 58 लोग घायल हुए थे। स्थानीय पुलिस की शुरुआती छानबीन के बाद मामला सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया था।
Meeca Masjid blast verdict: Accused Aseemanand brought to Namapally Court #Hyderabad pic.twitter.com/xMtUBwBSkO
— ANI (@ANI) April 16, 2018
कुल 10 आरोपियों में से एक की मौत
इस मामले में सीबीआई ने एक आरोपपत्र दाखिल किया। इसके बाद 2011 में सीबीआई से यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी ( एनआईए ) के पास गया। इस धमाके में स्वामी असीमानंद समेत कुल 10 लोगों पर आरोप लगा था, एक आरोपी की मौत हो चुकी है।
ये थे केस में 10 आरोपी
1. स्वामी असीमानंद
2. देवेंदर गुप्ता
3. लोकेश शर्मा (अजय तिवारी)
4. लक्ष्मण दास महाराज
5. मोहनलाल रातेश्वर
6. राजेंदर चौधरी
7. भारत मोहनलाल रातेश्वर
8. रामचंद्र कलसांगरा (फरार)
9. संदीप डांगे (फरार)
10. सुनील जोशी (मृत)
कोर्ट के सामने मुकर गए 64 गवाह
इस मामले में अब तक कुल 226 चश्मदीदों के बयान दर्ज किए गए थे और कोर्ट के सामने 411 दस्तावेज पेश किए गए। लेकिन NIA को इस केस की जांच में काफी मुश्कलों का सामना करना पड़ा, क्योंकि 64 गवाह कोर्ट के सामने मुकर गए, जिनमें लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित और झारखंड के मंत्री रणधीर कुमार सिंह भी शामिल हैं।
आपको बता दें कि स्वामी असीमानंद ने 2011 में मजिस्ट्रेट को दिए इकबालिया बयान में स्वीकार किया था कि अजमेर दरगाह, हैदराबाद की मक्का मस्जिद और कई अन्य जगहों पर हुए बम ब्लास्ट में उनका और कई अन्य हिंदू चरमपंथी संगठनों का हाथ है। हालांकि बाद में असीमानंद अपने बयान से पलट गए और कहा कि उन्होंने पिछला बयान NIA के दबाव में दिया था।